Monday, 25 May 2020

मैं आईना हूँ और तुम दीवार बनकर तल्खी को दिखा रहे हो


मैं आईना हूँ और तुम दीवार बनकर तल्खी को दिखा रहे हो
बेजुबान आवाजों को दबाकर हमारी एकता को मिटा रहे हो

हम भूले नहीं है उन्हें मगर भूल गए हैं क्या से क्या हुआ है वहां
बहुत जल्दी है सच को हटाने की सब कुछ लिखा मिटाने की
मगर हम नहीं मिटने देंगे हमारी संस्कृतियां फैली हैं जहां जहां

तुमको नसीब तो सब कुछ है तभी तुम सबको डरा रहे हो
खुद के अहम के आगे जागी इंसानियत गलत बता रहे हो

मगर जिंदा है ईमान, भले अभी गोलियां जब जब चलेंगी
जिंदा है वतन और उसके मसीहा कोई चेतना तो कहेगी

#प्रभात

Prabhat

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