Monday, 25 May 2020

चिंतन, मनन, उदासी, क्रंदन सबकी अलग कहानी है


चिंतन, मनन, उदासी, क्रंदन सबकी अलग कहानी है
वर्षों हुये करुणा में डूबे व्यथा वही पुरानी है

सागर, नदी, तालाब, गगन हर ओर अंधेरा छाता है
विस्मय करती नहीं बाधाएं सब कुछ आता जाता है
हां मन बोझिल, तितर बितर अंदर ही घुटता रहता है
जब भी देखूँ आलिंगन को तो आंसू भी बहता रहता है
हास्य, मधुर, शीतल, सिहरन सबकी अलग कहानी है
वर्षों हुए हास्य में डूबे अब बदली कहीं कहानी है
चिन्तन....

क्या लिखूं आगे

#प्रभात

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