Tuesday 29 September 2015

दूसरा ताजमहल नज़र आएगा

जिस वक्त पर मिल रहे है यह दूर अगर होता
चंद लम्हों की इन तस्वीरों में कहीं और होता  
प्रेम की प्रेरणा यूँ  इतनी सहज नज़र न आती
तकदीर बदल जाती और बात बिगड़ न पाती
यूँ रोशनी भी रहती और सादगी भी दिखती
नजरों में किसी पैमाने की बात उड़ न आती
पर कौन जानता है वह वक्त क्यों न आ पाया
जिस ओर रोशनी थी वहां तक जा न पाया
चला था सब कुछ छोड़ के यूँ मंजिल ढूँढने
बाकी सब कुछ पाया पर वह वक्त न आया
बीत रहा है जीवन इन्ही सपनों की उड़ान में  
पथरीली राह में और दुर्गन्ध तूफानी बयार में
हौंसला है कभी यहाँ गुलफाम नज़र आएगा
जब वो नज़र आयेंगे तो संसार नज़र आएगा
अभी तो केवल “शब्द केवल” से मिल रहे है
क्या पता यहाँ दूसरा ताजमहल नज़र आएगा  
-प्रभात 

Monday 14 September 2015

महत्व रूपी दृश्य देखने के लिए कमी रूपी दर्पण का होना आवश्यक है !

महत्व रूपी दृश्य देखने के लिए कमी रूपी दर्पण का होना आवश्यक है !  

आज जो भी हूँ
केवल तुम्हारे वजह से
तुम्हारे सपने पूरे हो गये है
तुम्हारे इच्छा की पूर्ति आज हुई है
बस जो तुमने चाहा वो सब हुआ
क्योंकि मैं तुम्हारे राह पर चला
परन्तु एक कमी है
वह यह कि तुम ही नही रहे
ये समय का सच है
समय के अनुसार
मैंने चलने की कोशिश की
मगर लगता है हार गया
ये कमी मुझे खलता है
तुम होते तो आज
इस तरह से ये शब्द
यहाँ नही लिखने पड़ते
तुमने देखा नहीं तो
अब मैं ये कैसे किससे कहूँ
कि तुम मेरे संजय हो
और तुम हर दृश्य से अवगत हो
तुम व्यास हो
और हर समय से अवगत हो
प्रभात
 


Sunday 6 September 2015

मेरे पिताजी

                           मेरे पिताजी

एक सच्चे, अच्छे और नेक इरादों की पहचान हैं पिताजी
बचपन से लेकर अब तक सहारे की खदान हैं मेरे पिताजी

अँधेरे में रोशनी दिखाते
मुसीबत से हर निकालते
भीड़ में हाथ पकड़ते
हर किसी खड़ी मंजिल के आधार हैं पिताजी
शिक्षक, वैद्य जैसे गुणों के सरताज हैं पिताजी

असफलता में साथ देते
सुलझे से ख्वाब देते
चेहरों को जो पढ़ लेते
असीम साहस त्याग के परिचायक हैं पिताजी
प्रीत, लगन, अनुपम प्यार के सार हैं पिताजी

वृक्ष की तरह छाया देते
फूल की तरह मुझे सींचते
तूफ़ान से हर बचा लेते
जो भी हूँ जैसे भी अब तक उसके कारण हैं पिताजी
चिंता, क्रोध, असाध्य रोगों के निवारण हैं पिताजी

संतान सुख के लिए लड़ते
युद्ध रण-भूमि में चल पड़ते
अन्याय कभी सहन न करते
खुद कष्ट सहकर मुझे हंसाने के लायक हैं पिताजी
मेरे घर से लेकर संसार तक के सहायक हैं पिताजी

हर समय एक नयी सीख देते
परिवर्तन की, हैं बात करते
असंभव को संभव बनाते
अनुभव, अनुशासन, आचरण के ज्ञान हैं पिताजी
मुझे लगता है मेरे लिए एक ही भगवान हैं पिताजी

-प्रभात