मेरा लिखना, लिखना क्या अगर वह विवादित नहीं
सूरज को सूरज और चांद को
चांद तो सब कहते हैं
अगर मैं तुम्हारी तरह हाँ
में हाँ मिलाकर उनसे कुछ न बोलूं
जिनके भक्त बन जाते हैं और
अनुयायी पैमाने पर चलते हैं
तो मैं भी भक्त ही कहलाऊंगा, किसी और की भक्ति कैसे होगी
छुपना और सहना तो जीवन को
चलाना है जैसे मौसमों का आना
मगर इनका बदलना न हो तो
कैसे होगा सिद्ध की तुम भी जीवित हो
अगर हर कोई केवल नींद ही ले
तो जागने वाला कैसे चिन्हित हो
मेरा कुछ भी कह देना हो
सकता है हंसी का कारण बन जाए
मेरा आगे आना हो सकता है
कुछ खोने का कारण बन जाए
लेकिन यह विमर्श बन जाए तो
हो सकता है कोई प्रभात बन जाए
-प्रभात
तस्वीर-प्रतीकात्मक