नदी, चांद, सितारे सब जुदा हो गए
मैं चमकता रहा सनम तुम्हारे प्यार में
मुझमे दिखता रहा अक्स किसी और का
मेरे लिए वो पागल थी और मैं सनम के प्यार में
उसे छोड़ दिया मैंने जो मुझे चाहती बहुत थी
मुझे छोड़ दिया किसी ने अपने सनम के प्यार में
ये जो जुदाई का आलम है वर्षों बाद अब
मैं होश में हूँ अब भी मगर सनम तेरे प्यार
में
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मैं गगन हूँ, चांद हूँ प्रभात हूँ बेबाक हूँ बहुत
तुम मुझे चाहने की कोशिश न करना
अंधेरा नहीं है जो ढक लेगा किसी दाग को
पत्थर हूँ, पहाड़ हूँ, पुकार हूँ, प्रकार हूँ बहुत
तुम मुझे जानने की कोशिश न करना
.................
मेरी चाहतों में शामिल है सिर्फ मेरा ही चेहरा
मैं जो भी चाहता हूँ बस सिर्फ अपने लिए
कोई मौका नहीं जब मैं खुद न याद आऊं
अब सब कुछ है, तुम्हें याद करूँगा किसलिए
ये जवानी नहीं जोश है मुहब्बत का शायराना
तराना अंतर्मन के और महफ़िल में हूँ अपने लिए
-प्रभात
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