होली का प्यारा लम्हा और तुम्हें ढेर सारा
प्यार
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एक आरजू आज भी जिंदा है
हो वक़्त खूबसूरत इतना कि हम निकल पड़ें
तुम्हारे करीब से बहुत
तुम छू न सको बस मुस्कुरा दो,
लगे कि हम जिंदा हैं
एक आरजू...
तुम्हारी शरारतों से ज्यादा मोहब्बत कर ली थी
मैंने शायद
इसलिये तुम जब कभी बेरंग से पानी डाल कर भाग
जाते
तो मैं रंग जाता तुम्हारी फिजा में देर तक
तुम्हें पकड़ नहीं सका,
लेकिन चाहत अब भी जिंदा है
एक आरजू...
खूबसूरत से लम्हें और हमको ढूंढ़ती हर शाम वो
खामोशी
तुम्हारी नाजुक सी अंगुलियों के पकड़ने का
अंदाज
और तुम्हारा चलते-चलते थोड़ा सा लुढ़क कर मेरे
कंधों पर आ जाना
मैं अब सहारा तो नहीं हूँ,
मगर कुछ तो है जो जिंदा है
एक आरजू...
-प्रभात
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