Monday 1 July 2019

जब कोई पूछता है कहाँ गए वो


जब कोई पूछता है कहाँ गए वो.....? (1 के बाद 1 फिर भी मैं 1)


राह में पत्थर है मगर मालूम है मेरा बहना उसे
मैं नदी की तरह हूँ और मुझे रहना है वैसे

हौसलों को जगाकर बड़ी दूर तक चला आया
राह में मिलने वाले रोड़ों को छोड़ आया
थीं मुसीबतें बहुत जब रोकने की वजह बन गए वो
लेकिन बढ़ने के लिए आगे कुछ सीखा गए वो
मैं सीखते रहता हूँ और मुझे रहना है वैसे

तकदीर में वो नहीं शायद मेरे, ये भी जरूरी था
किसी का छोड़ कर मुझे जाना जरूरी था
तख्त पर सोने में वो आराम कहाँ है
मैं जमीन से जुड़ा हूँ और मुझे रहना है वैसे

मिलने की चाहत थी शुरू में चांद से हम दोनों की
गिले शिकवे बहुत थे मगर उम्मीदें थीं साथ रहने की
जब पहुंचने की बारी आई आसमां में हमको
टूट गई यारी और यार हौंसलों की
मगर मैं अकेले काफी हूँ और मुझे रहना है वैसे

-प्रभात

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