Monday, 1 July 2019

जमाने की उलझनों में गीत नए गाए जाएं



जमाने की उलझनों में गीत नए गाए जाएं
बसंत को बसंत समझ प्रीत नए लाए जाएं
सेमलों का बाग हो या आम के बौर से नजदीकियाँ
हरे/भरे घास के पत्तों से भी धूल हटाए जाएं
मोहब्बतों में आसमां ही हो ऊपर ये जरूरी नहीं
जमीन पर हों जो करीब उनपर प्रेम जताए जाएं

-प्रभात

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