मेरा लिखना, लिखना क्या अगर वह विवादित नहीं
सूरज को सूरज और चांद को
चांद तो सब कहते हैं
अगर मैं तुम्हारी तरह हाँ
में हाँ मिलाकर उनसे कुछ न बोलूं
जिनके भक्त बन जाते हैं और
अनुयायी पैमाने पर चलते हैं
तो मैं भी भक्त ही कहलाऊंगा, किसी और की भक्ति कैसे होगी
छुपना और सहना तो जीवन को
चलाना है जैसे मौसमों का आना
मगर इनका बदलना न हो तो
कैसे होगा सिद्ध की तुम भी जीवित हो
अगर हर कोई केवल नींद ही ले
तो जागने वाला कैसे चिन्हित हो
मेरा कुछ भी कह देना हो
सकता है हंसी का कारण बन जाए
मेरा आगे आना हो सकता है
कुछ खोने का कारण बन जाए
लेकिन यह विमर्श बन जाए तो
हो सकता है कोई प्रभात बन जाए
-प्रभात
तस्वीर-प्रतीकात्मक
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-07-2019) को "मेघ मल्हार" (चर्चा अंक- 3385) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
What a great post!lingashtakam I found your blog on google and loved reading it greatly. It is a great post indeed. Much obliged to you and good fortunes. keep sharing.shani chalisa
ReplyDelete