महत्व रूपी दृश्य देखने के लिए कमी रूपी दर्पण का होना आवश्यक है !
आज जो भी हूँ
तुम्हारे सपने पूरे हो गये है
तुम्हारे इच्छा की पूर्ति आज हुई है
बस जो तुमने चाहा वो सब हुआ
क्योंकि मैं तुम्हारे राह पर चला
परन्तु एक कमी है
वह यह कि तुम ही नही रहे
ये समय का सच है
समय के अनुसार
मैंने चलने की कोशिश की
मगर लगता है हार गया
ये कमी मुझे खलता है
तुम होते तो आज
इस तरह से ये शब्द
यहाँ नही लिखने पड़ते
तुमने देखा नहीं तो
अब मैं ये कैसे किससे कहूँ
कि तुम मेरे संजय हो
और तुम हर दृश्य से अवगत हो
तुम व्यास हो
और हर समय से अवगत हो
- प्रभात
Good, so happy to hear it. I'm happy to the day don't make much difference, I just thought this was amusing.
ReplyDeleteGood, so happy to hear it. I'm happy to the day don't make much difference, I just thought this was amusing.
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....