महबूब की मोहब्बत
का हिसाब कौन मांगता है?
जो सब कहते है
उससे कुछ कहना क्या है?
इस मासूमियत में
रखा क्या है?
ये सन्नाटा दिलों
में ताजगी लाएगा
दिलों की उदासी
पर मरहम तो लगाएगा
बेवजह खौफ किसी
का अच्छा तो नहीं होता
आजाद रहना है तो
किसी से कहना क्या है?
दबकर रहने में
रखा क्या है?
समुद्र के बहने
पर बहता कौन है?
मनमौजी शरारतों
से खेलता कौन है?
चिड़ियों को ही तो
पास जाना पड़ता है
वरना उसे पूछता
कौन है?
#प्रभात
Prabhat
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