Monday 25 May 2020

मैंने उसे आज काफी करीब से देखा


मैंने उसे आज काफी करीब से देखा
उसके साथ होकर नहीं उसके शब्दों के करीब होकर
उसने कहा कि मैं तुम्हें प्यार करती हूँ
उसने कहा कि मैं तुम्हारे एक बार कुछ बोलने भर से नींद ले सकती हूँ
उसने कहा कि मैं बार बार कुछ कहती हूँ और तुम चुप रहते हो

.....
विडंबना है कि मैं जिसे 'उसे' कह रहा हूँ
वे नायिकाएं हैं
उनमें से कुछ हैं जो मेरी तस्वीरों को देखकर ही हक जमा बैठीं
कुछ हैं जो मेरे बोलने के अंदाज पर फिदा हो बैठीं
कुछ हैं जो मेरी हर उस चीज से प्यार करती हैं जिसे मैं प्यार नहीं करता
अब सवाल यह है कि मैं नायक हूँ ?
......
नहीं, क्योंकि मैं कहानीकार हूँ
इस कहानी में असल नायिका कोई एक है
मैं उसके करीब नहीं हूँ न तो शब्दों से और न ही उससे
फिर इसलिए ही तो ढूंढ़ता हूँ किरदार
......
वो किरदार मिल चुका है, लेकिन उसे लिखूंगा नहीं!
क्योंकि प्रेम परिभाषित न तो इसके पहले था और न अब!!
और शायद इसलिए लिखना पढ़ना बोलना सब गुनाह है
हां देखना है बस... देख रहा हूँ...

#प्रभात

Prabhat

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