मुझे हर कहीं अगर उसका चेहरा नजर आए तो
समझो मैं बेपनाह मुहब्बत करता तो हूँ!
अश्कों को भी कब निकलना मालूम है शायद
मैं उसकी आँखों का अदब करता तो हूँ!
हर सूरत में किसी मूरत की तरह वो खड़ी है वो
जाग उसे देखने की कोशिश करता तो हूँ!
..................शायद नहीं लिख पाऊँगा आगे
क्योंकि हर वक्त उससे ही प्यार करता तो हूँ!
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मुझसे मिलना तुम्हें शायद अच्छा न लगे कभी
ये असलियत है पर मैं तड़पता तो हूँ...
एक प्यार एक जमीं एक आसमां है उम्र भर
जो भी जहां, खुदा को उसमे तरासता तो हूँ...
मंजिल पाना हकीकत से कोसो दूर है शायद
ये जानकर भी उसे शिद्दत से चाहता तो हूँ...
नोट- कृपया बिना पूछे कॉपी न करें।