मैं फिर कह रहा हूँ
इतना न लिखो किसी जुल्म
के बारे में
देखा है जो, लिखने से उसकी बदनामी होगी
क्योंकि लिखने से उस पर
लगे पूरे घाव स्पष्ट नहीं होंगे
केवल घाव हुआ है यही
पता चलेगा
आवाज उठ जाएंगी, सैंकड़ों लोग सड़क पर आएंगे
और फिर इन्हीं में से
किसी और का कत्ल हो जाएगा
और फिर जुल्म बढ़ जाएगा
इसलिए कह रहा हूँ
इतना न लड़ो किसी जुल्म
को लेकर
जो लड़ते हैं वे सब कुछ
खो देते हैं
वे सावरकर नहीं भगत
सिंह बन जाते हैं
परिवार उजड़ जाता है
कैंडल मार्च निकालने
चले थे उनके लिए ही निकल जाता है
और फिर क्या पता नाम
रहे भगत सिंह का
विचारधारा गोडसे का ही
रह जायेगा
और फिर जुल्म बढ़ जाएगा
मैं फिर कह रहा हूँ
इतना न सुनो मेरी
मैं मौन हो जाऊंगा, या मौन बना दिया जाऊंगा
क्योंकि तलवारें मेरे
ऊपर लटकी होंगी
और तुम्हें मैं ही दिख
पाऊंगा
अभिव्यक्ति का अंदाजा
लगाने से पहले
तुमको ही सूली से लटका
दिया जाएगा
अत्याचारों पर पानी
क्या खूनों से ही रंग चढ़ाया जाएगा
मेरे सारे सबूतों को
सरेआम मिटाया जाएगा
मैं फिर कहता हूँ, कुछ न लिखो किसी जुल्म के बारे में...
बस जुल्म बढ़ता
जाएगा....बस।
06-10-20
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