Tuesday 1 June 2021

जब बहुत याद आती हो

 जब बहुत याद आती हो किसी की तो कुछ भी लिखा नहीं जाता

जब याद ही नहीं आती किसी की तो और भी नहीं लिखा जाता

हां, लेकिन उसे लिखना हो तब

साथ की जरूरत होती है उसकी, लेकिन तब जब उसका साथ ही नहीं होता



जब बीते पल बहुत दूर हों, लेकिन मन उन्हीं पलों में खो जाता हो

कुल मिलाकर न लिखने में भी सुकून नहीं, लिख लेने में भी सुकून नहीं

क्योंकि उसे पाने में भी सुकून नहीं और उसके चले जाने में भी सुकून नहीं

फिर लिखा जाता है उसके आने और जाने के फासलों के दरमियाँ

एक खूबसूरत सा प्रेम जो किया नहीं, जो मिला नहीं बस एहसास किया है...

#प्रभात

Prabhat

6-6-20

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