Tuesday 1 June 2021

"न कुमकुम, न वो"

 "न कुमकुम, न वो"

हाथ को पकड़े हुए वह चलती जा रही थी। मुझे लगा कि कहीं मैं उसे कुछ ऐसा न कह दूं कि वो हाथ छोड़ दे, लेकिन मैं चाहता था कि वो हाथ तो छोड़ ही दे। क्योंकि, मुझे समाज की चिंता खाई जा रही थी। मैं कैसे अपने ऊपर टिप्पणी सुन सकता था या हंसी का कारण बन सकता था? लेकिन मैं चाहता था कि मैं उससे कैसे कहूँ कि वो बुरा न माने। मैं उसे काश समझा पाता कि मैं उसका हाथ अकेले में थामना चाहता हूँ, जहां वो और मैं रहूं... कोई और नहीं। मुझे इस बात का डर था कि कहीं वो न देख ले जिसे मैंने कभी कहा था कि "मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ"...लेकिन, उसने तो मना कर दिया था। और अब बातें भी नहीं होती थीं। लेकिन, मेरी चिंता यही थी कि मैं तो एक से ही प्यार करने की बात कह सकता हूँ। बेशक, करूं मैं दोनों से। मैं चाहता था कि मैं हाथ को थामे रहूं अगर मैं छोड़ भी दूं तो वो फिर पकड़ ले। क्योंकि मेरा हाथ तो किसी ने पकड़ा ही नहीं था। हां, मैंने पकड़ना चाहा तो उसका हाथ छूट ही गया था। मुझे याद है, कैसे मैं उसके साथ चलता जा रहा था।



अचानक से उसे ऐसा लगा कि मैं उसका हाथ छोड़ रहा हूँ। उसने कहा नहीं कुछ लेकिन, मेरे हाथ बढ़ाने पर अब वह दूर हो गई थी। बहुत दूर। मैंने देखा कि उसकी बस आ गयी है। और वह चढ़ रही है। मैंने बहुत बुलाया आवाज लगाई.....कुमकुम।

लेकिन, अब तो वह बहुत दूर हो गयी थी। आवाज मेरे पास ही लौट आई और मैं उसे समझा न सका।

अगले दिन मैंने उसे देखा जिससे, कभी बात भी नहीं हुई थी।जिसने मेरा कभी हाथ नहीं पकड़ा। न ही पकड़ना चाहा, लेकिन, आज वह रुकी। और मेरे सामने आ गयी। जैसे लगा कुछ बोलना चाहती हो। उसने कहा- क्या यही प्यार है? कल तो तुम उसका हाथ पकड़ कर चल रहे थे। मैंने सोचा कि उसे समझा लूं। मैंने कहा- हां चल रहा था लेकिन, वो मैंने नहीं, उसी ने पकड़ा था।

अभय तुम कैसे हो सब पता है, यह कहते हुए वह भी दूर चली गयी।

मैं बोल नहीं सका कि मैं उसे प्यार करता हूँ या फिर कुमकुम को। लेकिन, बात अजीब थी। आज तो मैं कुमकुम को हाथ पकड़ने की बात कहकर उसके करीब रहने की बात कर रहा था, कुमकुम को पता चले तो वो भी अब बस की तरह कभी नहीं लौटे। और इधर तो उसने कभी हाथ नहीं पकड़ा, लेकिन उसने ये साबित कर दिया और एहसास करा दिया कि मैं किसी को प्यार नहीं कर सकता।

मैं उदास होकर मुंह नीचे किये हुए चला जा रहा था और सोच रहा था कि क्या मैं उन दोनों से ही दिल की बात कह सकता हूँ? क्या मुझे सचमुच प्यार करने की बातों पर ही टिके रहना चाहिये था।

इसी वाद विवाद का परिणाम निकला कि आज मेरे पास न कुमकुम है न ही वो।

नोट- तथाकथित काल्पनिक कहानी लिखने का उद्देश्य कि खुद से यह सवाल करना कि रिश्तों को संजोने के लिए क्या कुछ कहने की भी जरूरत होती है?

#प्रभात

Prabhat

26 may, 2020

 

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