Tuesday 1 June 2021

खुद का गम भी उसमें छुपाता रहा

 मैं तो उसके लिए जी जान लगाता रहा

खुद का गम भी उसमें छुपाता रहा

ये अजब है कि गरीबी उसकी दिखी



खुद की गरीबी का ख्याल भुलाता रहा

रास्ता मंजिल तक पहुंचा कर उसे आया

खुद को मंजिल की राह से हटाता रहा

हाँ, जानकर कि कल को 'मैं' नहीं रहूंगा

हर लम्हों को ही अपना बनाता रहा

#प्रभात

23-10-20

 

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