मैं तो उसके लिए जी जान लगाता रहा
खुद का गम भी उसमें
छुपाता रहा
ये अजब है कि गरीबी उसकी
दिखी
खुद की गरीबी का ख्याल
भुलाता रहा
रास्ता मंजिल तक पहुंचा
कर उसे आया
खुद को मंजिल की राह से
हटाता रहा
हाँ, जानकर कि कल को 'मैं' नहीं
रहूंगा
हर लम्हों को ही अपना
बनाता रहा
23-10-20
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