Tuesday 1 June 2021

मन की गति में विपदा का क्षोभ समाया भारी है

 मन की गति में विपदा का क्षोभ समाया भारी है

युद्ध नहीं लड़ सके सदा जो इसके अधिकारी हैं

मन करता है तब मृत्यु ही सबसे प्यारी है

हां, स्नेह के आंगन में भी सब खाली खाली है



जब दिखता है कि प्रीति कहीं मतवाली है

नीरसता जब हर स्तर पर व्याधि की धारी है

मन करता है तब मृत्यु ही सबसे प्यारी है

लेकिन अस्तित्व की मर्यादा में रण एक सवारी है

विकट परिस्थिति में चाहे कितनी बाधा जारी है

वीरता के प्रांगण में प्रेम मोह की ही पारी है

मत घबराओ, मनुज, बस विवेक की मति मारी है

युद्ध करो मृत्यु से देखो फिर किसकी बारी है?

#प्रभात

Prabhat

17-6-20

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