मन की गति में विपदा का क्षोभ समाया भारी है
युद्ध नहीं लड़ सके सदा
जो इसके अधिकारी हैं
मन करता है तब मृत्यु
ही सबसे प्यारी है
हां, स्नेह
के आंगन में भी सब खाली खाली है
जब दिखता है कि प्रीति
कहीं मतवाली है
नीरसता जब हर स्तर पर
व्याधि की धारी है
मन करता है तब मृत्यु
ही सबसे प्यारी है
लेकिन अस्तित्व की
मर्यादा में रण एक सवारी है
विकट परिस्थिति में
चाहे कितनी बाधा जारी है
वीरता के प्रांगण में
प्रेम मोह की ही पारी है
मत घबराओ, मनुज, बस
विवेक की मति मारी है
युद्ध करो मृत्यु से
देखो फिर किसकी बारी है?
#प्रभात
Prabhat
17-6-20
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