Tuesday 1 June 2021

ठहरता है क्या समय?

ठहरता है क्या समय?

नहीं, लेकिन ठहरना चाहिये
ताकि मैं अपने पुराने पन्नों को उलट सकूं
और फिर जो कुछ हुआ उसे भूल जाऊं
कभी चाहूं तो सपनों को संजों लूं


और फिर समय को फिर अपने साथ चलाऊं
लेकिन समय का ठहराव तो जिंदगी में ठहराव है
जहां सांसे बंद होने लगती हैं
घुटन होने लग जाती है
सब कुछ पुरानी बातें याद आती हैं
लगता है कि अभी बस मैं रोक लूं सब कुछ
लेकिन सब कुछ नहीं होता
बंद हो जाता है फट से दरवाजा
और मैं, मैं नहीं रह जाता!
तस्वीर- गूगल इमेज साभार

No comments:

Post a Comment

अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!