Sunday 8 May 2016

कहते है तुम बगिया में अब भी उसी पेड़ के छाँव बैठी

कहते है तुम बगिया में अब भी उसी पेड़ के छाँव बैठी
GOOGLE IMAGE
जिस दुपहरिया में तुम मेरे लिए लेकर कुछ आम बैठी

पहचान कराई तुमने मुझको तोते और कौए से भी
बगिया के सारे फल और उनको खाते प्यारों से भी   
आसमान के तारों को तुमने अहसास कराया था
बादल से गिरते बर्फ को उठा -कर खिलाया था
हवा के झोकों से गिरते आम, आंवला, बेल
बड़हल, जंगल जलेबी, और गिरते उनके फूल
कहते थे जैसे तुम आओ बाबू मेरे साथ चलो
मैं चलता गिरता और कहता गोंद में ले लो
मुझको तुम लेकर जैसे अब भी उसी पेड़ के छांव बैठी
कहने को वो शब्द नहीं पर लेकर वही जज्बात बैठी

भेजा था मुझे दूर जब मैं हंसा था और फिर रोया था
तुमने अपने आंसुओं को छुपा-छुपा के खोया था
तुम बात नहीं करती पर दुलार उतने वही पुराने थे
बस अंतर इतना था कि प्रेमाश्रु अब सिरहाने थे
आज कहीं पर लगता है जैसे तुमको मैं आने वाला हूँ
लगता है तुम्हारा प्रेम देखकर मैं घर में रहने वाला हूँ
और इसीलिये तुम लेकर सारे दिनों का हिसाब
करने को कुछ बात और अपने प्रेम का विश्वास
कहते है तुम आज सब भूल मेरे लिए कुछ दिन निकाल ले बैठी
आज फरा-खीर तो कल गुझियाँ और बेसन का पकवान ले बैठी 
   
होता हूँ जिस दिन उदास मैं, किसी वजह निराश मैं
तुमसे बातें करके कर जाता हूँ  ये सब परित्याग मैं
याद करता हूँ जब होता था कभी परेशान मैं
अधियारी रातों में रजाई में निराश मैं
उन रातों की भी नींद हमारी तुम्हे नहीं सुला पाती थी
लेकर सारी बात कलह का सुलह प्रेम से करवाती थी
छिपाया भी उन बातों को जो तुम्हे भयभीत करते थे
होकर भयभीत वही बताया जो मुझे हौंसले देते थे  
कहते है आज प्रसंग वही, रात वही, माँ रूप वही ले बैठी
मैं करता हूँ वो सब कोशिश पर समय ही कुछ श्रृंगार ले बैठी 
-प्रभात 

13 comments:

  1. मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनाओं सहित , " ब्लॉग बुलेटिन की मदर्स डे स्पेशल बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया

      Delete
  2. सुंदर रचना बढ़िया पोस्ट ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. पधारने के लिए धन्यवाद

      Delete
  3. प्रशंसनीय

    ReplyDelete
  4. Bahut sundar aur satik prastuti

    ReplyDelete
    Replies
    1. यहाँ तक आने के लिए धन्यवाद सर

      Delete
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको बहुत-बहुत धन्यवाद

      Delete
  6. बहुत सुन्दर
    हमारा कितना ख्याल रखती हैं प्रकृति . तभी तो उसे माँ कहा गया है

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया..सही ही कहा आपने

      Delete

अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!