चाहिए उसे बस है गुजरे अकेले मौत से खाली
गूगल से साभार |
तमन्ना है, जो होनी चाहिए वो मुश्किलों से खाली
कोई इंसान खुद की राह चले या खुदा की खाली
पढ़ेगा उसे जमाना जहां होगा यह फैसला खाली
गिरेगा कांच भी बनकर पत्थर, रहेगा कांच खाली
चाहिए उसे बस है गुजरे अकेले मौत से खाली
चीखते हैं, जहां वो लोग अकेले कठघरे में खाली
वहां अपना हो या पराया कोई, वो देखेगा खाली
करोगे तुम्ही अर्पण सुबह का ओंस (बिन्दुस्राव) बनकर खाली
तड़फ की रात के बाद मिलेगा सूकून ही खाली
भीड़ है, तो वहां संभालना है खुद भीड़ से खाली
चलना है अकेले जहाँ कोई हमसफ़र न हो खाली
वहां तो न
छाया है कोई, है वो पेड़ों से खाली
कोई इंसान खुद की राह चले या खुदा की खाली
पढ़ेगा उसे जमाना जहां होगा यह फैसला खाली
गिरेगा कांच भी बनकर पत्थर, रहेगा कांच खाली
चाहिए उसे बस है गुजरे अकेले मौत से खाली
चीखते हैं, जहां वो लोग अकेले कठघरे में खाली
वहां अपना हो या पराया कोई, वो देखेगा खाली
करोगे तुम्ही अर्पण सुबह का ओंस (बिन्दुस्राव) बनकर खाली
तड़फ की रात के बाद मिलेगा सूकून ही खाली
भीड़ है, तो वहां संभालना है खुद भीड़ से खाली
चलना है अकेले जहाँ कोई हमसफ़र न हो खाली
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (27-05-2016) को "कहाँ गये मन के कोमल भाव" (चर्चा अंक-2355) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
विनम्र आभार
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ReplyDeleteकहीं न कहीं खाली होना भी भला जान पड़ता है ..
बहुत सुन्दर
धन्यवाद
Deleteधन्यवाद
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत रचना
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत खूब प्रभात जी ... कई बार खाली पन कोई ऐसे भर लेता है जैसे ताज़ा फूलों की खुशबू ...
ReplyDeleteधन्यवाद
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