प्रेम एक छांव है तो प्रेम चारो धाम है
प्रेम एक सुबह है तो
प्रेम एक शाम है
प्रेम से ही मुलाकात ही
प्रेम का नाम है
गूगल साभार |
प्रेम एक छांव है तो
प्रेम चारो धाम है
प्रेम एक तृष्णा है तो
प्रेम शब्द बाण है
प्रेम ही अर्पण त्याग,
श्रद्धा से बलिदान है
प्रेम ही ज्ञान, विज्ञान
व मन्त्र का विधान है
प्रेम तो सुख दुःख और
सर्वस्व, निर्वाण है
प्रेम ही उचित-अनुचित सब
व्यवहार है
प्रेम की अमर कहानी
प्रेम का अभ्यास है
प्रेम ही छंद, ताल और
भौहो का संवाद है
प्रेम एक गजल, दोहा,
सवैया, अलंकार है
प्रेम ही दिव्य दृष्टि,
राधे-श्याम का नाव है
प्रेम ही उपासना और
प्रेम भक्ति भाव है
-प्रभात
Bahut sundar rachna
ReplyDeleteप्रणाम सर!
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