Wednesday, 18 May 2016

प्रेम एक छांव है तो प्रेम चारो धाम है


प्रेम एक छांव है तो प्रेम चारो धाम है  

प्रेम एक सुबह है तो प्रेम एक शाम है
प्रेम से ही मुलाकात ही प्रेम का नाम है
गूगल साभार 

प्रेम एक छांव है तो प्रेम चारो धाम है   
प्रेम एक तृष्णा है तो प्रेम शब्द बाण है
प्रेम ही अर्पण त्याग, श्रद्धा  से बलिदान है
प्रेम ही ज्ञान, विज्ञान व मन्त्र का विधान है 
प्रेम की परिभाषा में संगीत, अनु-राग है    
प्रेम तो सुख दुःख और सर्वस्व, निर्वाण है
प्रेम ही उचित-अनुचित सब व्यवहार है
प्रेम की अमर कहानी प्रेम का अभ्यास है
प्रेम ही छंद, ताल और भौहो का संवाद है   
प्रेम एक गजल, दोहा, सवैया, अलंकार है
प्रेम ही दिव्य दृष्टि, राधे-श्याम का नाव है
प्रेम ही उपासना और प्रेम भक्ति भाव है 
-प्रभात




2 comments:

अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!