तुम्हारे नाम पर कोई न
अधिकार जमा बैठे 
मुझे है डर तुम्हे ही कोई
न प्यार कर बैठे 
तुम्हारे ख्वाब में चाहे
सारी जहाँ हो तो हो
हकीकत में मेरी जगह कोई
और न बना बैठे
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| गूगल साभार | 
कभी जब मिलोगे मैं कुछ
तो कहूँगा 
प्यार के रंग में भरा
शब्द तो भरूँगा 
तुम्हारी सूरत पर जरा
मुस्कराऊंगा 
साँसों को खुशी का इत्र
दें जाऊंगा 
महकेंगी आँगन तन का जब
मिलोगे 
प्यार के लफ्ज़ से जब
खुशियाँ भरोगे 
ढलेगी सुबह भी जहाँ तुम
कहाँ कहोगे 
सिंदूरी शाम का मांग तब
भरूँगा 
चुपके से चाँद न आये
उसको कहूँगा 
शाम बन जाएँ निराली
बाहों में रहूँगा 
-प्रभात  
 
 
सादर आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteभ्रमर ५
शुक्रिया
Deleteशुक्रिया
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