पहली मुलाकात
दिल्ली विश्वविद्यालय के केंद्रीय लाइब्रेरी में मिलते है ऐसा कहकर
उसने फोन काट दिया लेकिन बहुत देर हो चुकी थी और अभी तक "सुबह" नहीं आया
था। "सुरीली" बैठी हुई लाइब्रेरी में घंटों इंतजार करती रही। कभी घड़ी
देखती तो कभी कुछ। घड़ी देख ही रही थी देखा सामने "पिंकी" खड़ी थी। अरे
पिंका तू क्या कर रही है आश्चर्य से सुरीली ने पूछा। पिंकी ने मजाकिया ढंग से कहा
अरे तू किसका इंतजार कर रही है बॉय फ्रेंड का । चल तू जानती नहीं मैं फ्रेंड तो
बनाती नही बॉय फ्रेंड की बात ही अलग ही है...मुहँ टेढ़ा बनाते हुए सुरीली ने कटीले अंदाज में पिंकी को खूब सुना दिया।
पिंकी ही थी जो इतना सुनाने के बाद फिर पूछा अच्छा ये बता सुरीली अभी किसी का
इंतजार तो नही कर रही ...हां कर रही हूं तुझे क्या लेना देना । सुरीली ने इतना कहा
तो पिंकी अपने किसी और काम से अपने संस्कृत विभाग की ओर मुड़ गई।
2 घंटे बीत चुके, और फोन में बैटरी चार्ज न होने की वजह से फोन आया और फ़ोन की स्क्रीन पर
नाम फ़्लैश किया...; अच्छा सुरीली जी कहाँ पर है...सुबह ने
पूछा। अरे सुनो सुभा जल्दी से आ जाओ इतना वेट तो मैंने आज तक किसी बॉय फ्रेंड का
भी नही किया, मेरे फोन की बैटरी भी नही है, लाइब्रेरी में मिलूंगी। सुबह ने कहा, हाँ ठीक अभी
इंतजार करना । हम मिलेंगे जरूर।
सायं 4 बजे तक पिछले 3 घंटे से इंतजार करते-करते सुरीली थक
गयी थी उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन उसे इंतजार करना भी ज्यादा गंवारा न था। वह
बैठी हुई सुबह का रास्ता देखती कभी किताब के पन्ने खोल लेती।
थोड़ी देर बाद सुबह आया तो
सुरीली ने यह जरूर कहा कि आ गए, थोड़ी मुस्कुराई मगर थोड़ी
बहुत मजाक मजाक में नाराज भी हुई कि आज तो इंतजार करना पड़ा...जो मैं कभी नही करती।
सुबह ने कहा तो कुछ नही बस मुस्कुराता रहा...शायद सुबह और सुरीली की इस तरह पहली
मुलाकात थी जब केवल एक दूसरे के लिए मिले थे। तुम बहुत कम बोलते हो क्यों? फिर भी सुबह मुस्कुराता ही रहा, जवाब नहीं ही दिया ।
सुबह मन ही मन बहुत खुश था कि किसी ने आज उसकी वजह से इंतजार तो किया। अच्छा तो
लगा मिलकर दोनों को ही। थोड़ी बहुत बाते हुई। लाइब्रेरी से किताब भी लिया तो एक
दूसरे को आमने सामने देखकर दोनों खूब मुस्कुराए...आज से जैसे सुबह की जिंदगी में
कुछ अच्छी तरह नई शुरुआत थी। बहुत दिनों बाद शायद खुशियों की बारिश हुई थी जिंदगी
की घनी गर्मी के बाद...
प्रभात
प्रभात
#प्रेम के शब्द
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