प्रिय रागिनी, यह खत अब तुम्हें नही लिख रहा हूँ यह अब मैं अपने आपको लिख रहा हूँ। मैंने
मान लिया कि खत कोई और भी पढ़े आप न ही पढ़िए तो भी अच्छा ही है। क्योंकि रागिनी अब
तुम केवल काल्पनिक चेहरा और अहसास लिए मुझे हमेशा अपने पास रखती हो। और मैं भी यही
ही करता हूँ । मुझे पता है यह खत जो भी पढ़ेगा उसे यह कोई साहित्य की तरह लगेगा
लेकिन यह साहित्य ही नहीं यह एक अमर प्रेम कहानी है। जो शायद कहानी के पात्र ही
अनुभव कर रहे होते है।
लेकिन फिर भी सुनों रागिनी; दर्द और दर्द
से उपजी जलन की आग, चिंता की रेखा, प्यार
मुहब्बत का नाम सुन कर मुंह फेरने वाली शख्स में तुम ही नही हो अब मैं भी हूँ।
अंतर इतना है कि तुम थोड़ा पहले और मैं बाद में हुआ। लेकिन प्रेम एक ऐसा सत्य है कि
यह अमर होता है इसमें शरीर मर जाता है लेकिन आत्मा हमेशा जिंदा रहती है। यह आदमी
से घृणा तो करने लगता है लेकिन यह उसकी अंतरआत्मा से कभी नही। इसमें जिस्म तो क्या
इसमें अपने आपको बलिदान और समर्पित करने की चाह होती है। नहीं पता कैसे एक पक्षीय
प्यार हो जाता है और कोई एक स्वार्थ सिद्ध करने में केवल लगा रहता है और साथ छोड़
देता है और उसके बाद भी प्रेम करने वाला उसे स्वार्थी नही करार देता उसकी गलत
बातें भी सही लगती है। लेकिन अगर ऐसा दुबारा किसी और के साथ हो यानी अब प्रेम करने
वाला दूसरा हो तो उसमें विश्वास करना शायद पहले कितना और जल्दी इतना आसान नहीं
होता यहां प्रेम करने वाला अब हमेशा संशय की दृष्टि से देखा जाता है।
रागिनी तुम प्रेम नहीं कर सकती इतनी जल्दी क्योंकि प्रेम शायद सही
ही कहा है पहली बार शायद आसान होता है दूसरी बार शायद बहुत कठिन। मैं प्रेम करता
हूँ उस पर प्रश्नचिंन्ह उठना स्वाभाविक है। खैर सच बताऊं तो सही कहते हो प्रेम
वगैरह कुछ नहीं सब बेवकूफी है। लेकिन शायद ये नहीं जानते कि प्रेम किसे कहते है।
प्रेम में कुछ मिल जाये तो प्रेम कहाँ वह तो एक मिथ्या प्रेम है।
जब प्रेम में एक दूसरे के प्रति चाहत होती है, समर्पण होता है, त्याग होता है तो वह प्रेम हमेशा
सजीव रहता है। दिल की धड़कनें अगर केवल प्रेमिका के नाम मात्र सुनने से बढ़ जाये।
सांसे जोर जोर से चलने लगे। चेहरे के हाव भाव बदल जाए तो यह प्रेम है। हर बात को
महत्व देना और उसी के अनुसार व्यवहार करना, किसी भी बात से
सबसे ज्यादा तवज्जो प्रेमिका को देना प्रेम है। भोजन करते वक्त या कोई और काम करते
वक्त भी इस प्रेम के आगे सब बेकार लगने लगे। यहाँ तक कि कोई दूसरा आपके जीवन में
मिल जाए तो भी उसे आप स्वीकार नहीं करेंगे। आप चाहकर उसे अपना प्रेम नहीं दे
पाएंगे न ही उसके साथ ज्यादा दिन तक राह पाएंगे अगर कोई सचमुच प्यार करने आपसे आया
हो और आप किसी और को चाहते हो। यही शायद प्रेम है।
#प्रेम के शब्द
तुम्हारा
प्रभात
तुम्हारा
प्रभात
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