तुम नारी हो लेकिन अन्य नारियों
से अलग। पता है तुम्हारा प्यार जब मेरे इनबॉक्स में ढेर सारे दिल लेकर आया था तो
मेरा दिल इतना पिघल गया था कि मैं बदले में दिल का ढेर लगा दिया। यकीनन मुझे
विश्वास तब भी नही था। वास्तव में तुमसे दिल लगाना शायद इतना आसान नही था इसलिए
मैंने पहले तुम्हे परीक्षा के दौर से गुजारा। तुम परीक्षा के दौर से गुजरते गुजरते
मुझे परीक्षा में दूसरों की तरह नकल करने वाला बनाकर बदनाम कर चली गयी। तुम्हारा
झूठी गंभीर शैली, हाव-भाव और केयरिंग दृष्टि ने मुझ पर बस इसलिए प्रभाव डाला था क्योंकि मैं भी किसी प्यार का
शिकार था और मुझे दर्द का पता था। मेरे इनोसेंट होने का इतना फायदा लिया कि तुम
सरेआम 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' वाले
मुहावरे को अपनाते हुए देखे गए।
इस संसार मे प्यार का सच्चा
नाटक करने वाला भी तुमसे कम ही योग्यता वाला इंसान होगा। तुमने मुझ पर मानो निशाना
साध रखा था कि किसी एक उद्देश्य के साथ तुम आये और अपना काम निकाल कर पीछे हट तो
गए साथ ही साथ मेरे दिलों दिमाग को नकारात्मक रूप से प्रभावित भी किया। तुमसे
सच्चा इंसान शायद इस दुनिया मे पैदा नही हुआ होगा, इस तरह
तुमने अपने झूठ होने की प्रामाणिकता को सिद्ध कर दिया था। धोखेबाज नही तुम्हें
अपने आप को धोखा मिला था और फिर से अपने आप को ही धोखा दिया, शायद बदला लेने मुझसे आ गए थे, लेकिन वह भी तुम्हें
तोड़ कर हर किसी से अलग ही करेगा। अच्छा किया अपनी अस्मिता और पहचान को मेरे सामने
लाल गुलाब की की तरह लाकर अब तुमने उसके उल्टे अर्थ का यानी नफरतों के बयार को
प्रकट कर दिया। अच्छा सुनों तुम सफल हो गए होंगे लेकिन तुम कभी माफ़ नही किये जाओगे
क्योंकि तुम्ही केवल नारी नही हो । वह पत्थर भी है जिसे मै नारी मानता हूं और
प्रेम का प्रतीक। वह कल्पना भी है जिस भाव से अक्सर मैं नारियों को देखा करता हूँ
वह बहुत हद तक सच भी है....
प्रभात
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