Sunday, 9 July 2017

मोहब्बत पड़ी है तुमको !!


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खूबसूरत नजारा और नजारे आसमां पर
सितारे भी मुझसे कुछ कह रहे हैं
कभी तुम पास आओ गले से लगा लूंगा
तुम्हारी ख्वाहिशें सब चुरा लूंगा
तुम्हारी जरूरत है हमको
मोहब्बत पड़ी है तुमको!!

अभी तक तुमने जो भी कुछ किया
मोहब्बत ने तुमको अंधा किया
तुम्हारी परवाह तुमको खुद की नही है
तो तुम्हें कैसे भरोसा वफ़ा क्या करेगा
तुम्हारी जरूरत है हमको
मोहब्बत पड़ी है तुमको!!

है चादर में लिपटी जहाँ है सारा
सूरज की बाहों में लिपटा किनारा
है काले मेघों का ऊपर सहारा
लड़े जा रहे हो आपस में, मैं हारा
तुम्हारी जरूरत है हमको
मोहब्बत पड़ी है तुमको!!

बहुतों ने किया है अंत रिश्तों का
तुमने भी जिया है सार जिंदगी का
यकीं न हो खुद पे तो भी संभलना
चौराहों पे आके तुम न भटकना
तुम्हारी जरूरत है हमको
मोहब्बत पड़ी है तुमको!!

-प्रभात

5 comments:

  1. मेरे सवालों के दायरे में जब वो होती है तो उसका मन भी मेरी बातों में उलझने लगता है वह मुझे बहलाकर झट से बाहर हो जाती है मुझे पता है उसका दिल भी मेरी तरह मासूम है

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    1. वाह क्या जज्बात और गहरे ख्याल है ...शुक्रिया

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