Sunday, 9 August 2015

और थानेदार बड़े मक्कार हो गए है..

सच और अभी हाल के ही एक प्रकरण पर आधारित-

आजकल के सिपाही भी थानेदार हो गए हैं
और थानेदार बड़े मक्कार हो गए है

जहाँ देखिये वही १० रूपये के नोटों का नाता है
रेहड़ी, पटरी, दीन दुखी को लूटने का इरादा है
यहीं पर सारे वर्दी, नली फोर्स इस्तेमाल हो गए है
अशिक्षित दुर्बल को पहचान कर मालामाल हो गए है

किसी सज्जन ने भ्रष्टाचार और हत्या की शिकायत कर दी
तो उस पर ही ३०२, ४२० से IPC की वकालत कर दी
न्यूज पेपर में आज के गुंडे कोर्ट से बरी हो गए है
और सज्जन गांजा के साथ गिरफ्तार हो गए है

रात को चोरी हुयी दारोगा जी सो रहे है
कभी गए किसी बार में तो रम से फन हो रहे है
शक्ति के कलम अब सफ़ेद कुरता में फंस गए है
और चोरी बदमाशी के पक्के साझेदार हो गए है

FIR दर्ज करो साहब कुछ लोगों ने हमें मारा है
अब देखो भाई उलटे दरोगा जी ने मुझे थप्पड़ मारा है
FIR तो जैसे थाने से नीलाम हो गए है
और उलटे ही संरक्षक की बजाय भक्षक हो गए है

जुल्म कबूलवाने वाले का जुल्म कैसे कबूलवाओगे
किसी गांव में अन्धकार में इनकी स्टिंग कैसे करवाओगे
जब चोरो के तार थाने ही जुड़ गए है
और इनके कप्तान अपराधी-मंत्री जी हो गए है  

सबसे पहले कानून के लूपहोल्स को मिटाना है
सख्त कार्यवाही करते हुए इन्हें ही तिहाड़ पहुंचाना है
क्योंकि आजकल दारोगा जी अपराधी बन गए है
और सज्जन आतंकवादी बन गए है

-प्रभात  

2 comments:

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