Sunday, 23 August 2015

तुम्हारे प्यार में पागल रिश्ते वही पुराने है ....

तुम्हारी याद में भीगे पलकों की कहानी है
तुम्हारे प्यार में पागल रिश्ते वही पुराने है

पता है कभी जब तुम नाखुश सी दिखती हो
मेरे व्रत की पीछे की बस इतनी सी कहानी है
तुम्हारी प्रीत के मिलन के ये सच्चे बहाने है
डूबकर लिखे  डायरी के पन्ने वही पुराने है
तुम्हारे प्यार में पागल रिश्ते वही पुराने है

तुम्हारी मधुर राग के हम वर्षों से दीवाने हैं
पता है तुमसे बिछुड़कर कई गीत लिखे है
तभी तो अनजाने लोग भी मेरे दीवाने है
ये सब तुम्हारी यादों के सुन्दर से खजाने है
हमारे लफ़्ज़ों पर सजे हजारों तराने है
तुम्हारे प्यार में पागल रिश्ते वही पुराने है 
 -प्रभात 

6 comments:

  1. Sacha prem ka sachi prastuti.

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया !

      Delete
  2. सुन्दर व सार्थक रचना ..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहे दिल से शुक्रिया ..........आभार

      Delete
  3. क्या बात है...ये दर्द बड़े गहरे से निकला है....बहुत ही संजीदा लेखन :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहे दिल से आभार....सोंचना पड़ता है ...आपको रिप्लाई कैसे और किन उचित शब्दों से करूँ

      Delete

अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!