तुम्हारी याद में भीगे पलकों की कहानी है
पता है कभी जब तुम नाखुश सी दिखती हो
मेरे व्रत की पीछे की बस इतनी सी कहानी है
तुम्हारी प्रीत के मिलन के ये सच्चे बहाने है
डूबकर लिखे डायरी के पन्ने वही पुराने है
तुम्हारे प्यार में पागल रिश्ते वही पुराने है
तुम्हारी मधुर राग के हम वर्षों से दीवाने हैं
पता है तुमसे बिछुड़कर कई गीत लिखे है
तभी तो अनजाने लोग भी मेरे दीवाने है
ये सब तुम्हारी यादों के सुन्दर से खजाने है
हमारे लफ़्ज़ों पर सजे हजारों तराने है
तुम्हारे प्यार में पागल रिश्ते वही पुराने है
-प्रभात
Sacha prem ka sachi prastuti.
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया !
Deleteसुन्दर व सार्थक रचना ..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
तहे दिल से शुक्रिया ..........आभार
Deleteक्या बात है...ये दर्द बड़े गहरे से निकला है....बहुत ही संजीदा लेखन :)
ReplyDeleteतहे दिल से आभार....सोंचना पड़ता है ...आपको रिप्लाई कैसे और किन उचित शब्दों से करूँ
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