Thursday, 13 August 2015

थोड़ा सा प्यार कर जिन्दगी संवार लीजिये...

अब भी समय है थोड़ा विचार कीजिये
थोड़ा सा प्यार कर जिन्दगी संवार लीजिये

जिन्दगी है ऐसी तूफ़ान यहाँ आते हैं
ढहने-ढहाने के विचार यहाँ आते हैं
घर के रूप रेखा से ही घर बचा लीजिये
नींव के जतन से ही मकान बना लीजिये

रिश्तों को संजोने के समय बहुत कम है
नफरत की ऊँचाइयों में दूरिया बहुत कम है
शब्दों को शब्दकोष से परख खूब लीजिये
प्रेम के परिणाम को तब आप देखिये

झगड़ों के भीड़ में प्रेम शब्द खो गया
मतलब की आड़ में सदाचार कहीं सो गया
जो कहतें है आप वो आप भी कीजिये
थोड़े से सद्व्यवहार से जग जीत लीजिये

परेशानियों में धैर्य रखना होता है
भाग जाने से बैर रखना होता है
सम्मान दीजिये और सम्मान लीजिये
व्यक्तिवाद से हटकर समूह मान लीजिये

-प्रभात  

8 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन बंधक बनी संसद को निहारता बेबस देश में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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    1. बहुत-बहुत शुक्रिया!

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  2. जो कहतें है आप वो आप भी कीजिये
    थोड़े से सद्व्यवहार से जग जीत लीजिये
    बहुत सुन्दर

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  3. बहुत सुंदर और भावपूर्ण.
    नई पोस्ट : झूठे सपने

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  4. सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति

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  5. झगड़ों के भीड़ में प्रेम शब्द खो गया
    मतलब की आड़ में सदाचार कहीं सो गया
    सुन्दर शब्द रचना
    http://savanxxx.blogspot.in

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