Monday, 23 September 2019

मुझे मालूम है मोहब्बत में किसी की खुशामद करना


मुझे मालूम है मोहब्बत में किसी की खुशामद करना
और, गर मकसद न हो कुछ तो इबादत करना

मगर किसी की आंखों का तारा बनना नहीं मुझे
मुझे आता है आसमान का सितारा बनकर रहना

8 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (25-09-2019) को    "होगा दूर कलंक"  (चर्चा अंक- 3469)     पर भी होगी। --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  2. बहुत सुन्दर सृजन सर
    सादर

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  4. बहुत अच्छी पंक्तियाँ ...आभार

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