Monday 23 September 2019

कोई अफसाना मुझसे लिपटकर खो गयी होगी


कोई अफसाना मुझसे लिपटकर खो गयी होगी
वो राहों में बंदिशें लिए रो रही होगी
जिंदा है मगर कहने को ही जब आंसू ही नहीं निकले
वो आयी थी शायद मेरी हो गयी होगी....|

बहुत खूबसूरत सा सवाल जो अब भी छोड़ा है उसने
वो आयी थी कभी मिलने, आयी है या आ रही होगी
इन्हीं उलझनों में बेचैन नयन कराहते तो होंगे
मगर आंखें बंद हैं अब वो तो सो गई होगी....|
जुल्फों के साये में उभरते अक्स मुझे दिख रहे हैं क्यों
ये मैं खुद से सवाल करूँ या वो कर रही होगी
बहुत देखा यकीनन किसी में ढूंढ़ना भी चाहा उसे
किसी ख्वाब की तरह सुबह ही ओझल हो गयी होगी....|
नोट: मेरी कोई भी पोस्ट बिना मुझे सूचित किये कॉपी न करें।

2 comments:

  1. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति

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