Monday, 23 September 2019

हम इस तरह मुस्कुरा रहे हैं


हम इस तरह मुस्कुरा रहे हैं
कि गम है उसको भुला रहे हैं

हम चाहते हैं जिसे खुश रखना
वो हमीं को खूब रुला रहे हैं
जो भुलाए नहीं जाते ख्वाबों से
वो हमको ही अब भुला रहे हैं
माना कि चोट पहुँची तुम तलक
एहसास है तभी सहला रहे हैं
कदम-कदम पर मनाया है उन्हें
क्या दर्द है उन्हें जो इठला रहे हैं
कहता हूँ प्रेम से देखो एक बार
सोचो प्रभात क्यों चिल्ला रहे हैं
-प्रभात


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