मेरी खामोशी को तीर बना कर न रख देना मैं छलनी छलनी हो जाऊंगा आहिस्ता आहिस्ता किसी की आन पर है कोई बात मगर किसी की शान पर भी है कोई डगर बेदर्दी के आलम में मजबूर बना कर न रख देना
अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!
No comments:
Post a Comment
अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!