Monday, 23 September 2019

वो खौफनाक मंजर


वो खौफनाक मंजर
वो तूफानी रातें
वो बेकरारी
सब कुछ भूल जाएगा
एक दिन आएगा
चिल्लाती रूहों में
संवेदनाओं का तड़पना
जागृत एहसासों का
टूटना और बिखरना
सनी यादों के साये में
पल-पल पलटना
सब कुछ सिमट जाएगा
एक दिन आएगा
जलते ख्वाबों की
लपटों में खुद को झोंकना
तस्वीरों के इर्द गिर्द जाना
और खुद से ओझल हो जाना
आत्मीयता के बहाने
टेढ़े मेढ़े अक्षरों को सहेजना
सब कुछ जल जायेगा
एक दिन आएगा
बोझ हल्के हैं अभी सहन हो जाएगा
इश्क़ अधर में है दफन हो जाएगा
वक्त की लपेटों से जागना चाहोगे
क्या पता सब कुछ सही हो जाएगा
लेकिन
पीड़ाओं के गट्ठर में खुद को न उठा लेना
मुस्कुराहटों को अपने अधर से न हटा देना
जिंदगी है, जान न देना
सब कुछ खत्म हो जाएगा
एक दिन आएगा
तस्वीर: गूगल साभार


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