दिल्ली की सड़कों पर 1 बजे रात
घर से बाहर कदम रखते ही
दिखता है गलियों में सन्नाटा और
इस सन्नाटे में प्रेमी और प्रेमकाओं की चीखें
कई अमानवीय मानव और कई मानवीय कुत्ते
गाड़ियों की बोनट पर बैठे हुए
झूमते हुए नशे में गिरते हुए आदमी
और खोखले, कमजोर, शरीरविहीन।
घर से बाहर कदम रखते ही
दिखता है गलियों में सन्नाटा और
इस सन्नाटे में प्रेमी और प्रेमकाओं की चीखें
कई अमानवीय मानव और कई मानवीय कुत्ते
गाड़ियों की बोनट पर बैठे हुए
झूमते हुए नशे में गिरते हुए आदमी
और खोखले, कमजोर, शरीरविहीन।
ट्रकों का सड़कों पर रौंदना तेज हो जाता है
और इस रौंदने में जीव निर्जीव हो जाता है
फुटपाथ पर बिना सांस लिए आदमियों का सोना
मरे हुए आदमी और उनकी तरह टायरों का रोना।
और इस रौंदने में जीव निर्जीव हो जाता है
फुटपाथ पर बिना सांस लिए आदमियों का सोना
मरे हुए आदमी और उनकी तरह टायरों का रोना।
1 बजे रात लगता है आदमी, आदमी नहीं हैं
गुंडागर्दी और हैवानियत के आगे जिंदगी शर्मशार है...
क्योंकि फिर अगले सुबह किसी की चीख अखबारों में सिमट जाएगी
शाम होते ही कुछ मोमबत्तियां जल जाएंगी
और रात होते ही बुझ जाएंगी
और फिर 1 बज जाएगा फिर गलियों में फैलेगा सन्नाटा
गुंडागर्दी और हैवानियत के आगे जिंदगी शर्मशार है...
क्योंकि फिर अगले सुबह किसी की चीख अखबारों में सिमट जाएगी
शाम होते ही कुछ मोमबत्तियां जल जाएंगी
और रात होते ही बुझ जाएंगी
और फिर 1 बज जाएगा फिर गलियों में फैलेगा सन्नाटा
तस्वीर: गूगल साभार
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