कुछ सुकून के पल
कुछ तरंगे जो हमेशा मुझे पास पहुंचा देती हैं
कुछ एहसासें जो बाहों को बाहों में फिसला देती हैं
कुछ तारों व सितारों का मंडल जिन्हें हम खामोश कर देते हैं
मैं कहता हूँ वही प्यार पराया आज तुम्हारे साथ है
कुछ तरंगे जो हमेशा मुझे पास पहुंचा देती हैं
कुछ एहसासें जो बाहों को बाहों में फिसला देती हैं
कुछ तारों व सितारों का मंडल जिन्हें हम खामोश कर देते हैं
मैं कहता हूँ वही प्यार पराया आज तुम्हारे साथ है
कवियों की तरह पागल, आशिकों
की तरह पागल
लेखकों की तरह पागल, खोजी की तरह पागल
मन ही मन हम दोनों ही पागल
कहीं तो कभी तो कोई तो होगा पागल
जो कहेगा एक पागल को दूसरा पागल मिल गया
लेखकों की तरह पागल, खोजी की तरह पागल
मन ही मन हम दोनों ही पागल
कहीं तो कभी तो कोई तो होगा पागल
जो कहेगा एक पागल को दूसरा पागल मिल गया
चाँद अब भी दिखा है उसी बचपन में खाट के ऊपर
एक अंगुली तुम्हारी और एक मेरी
करधन को सीधा करते हुए नोचना तुम्हें
और फिर तुम्हारा गाल ऊपर करके बोलना
और फिर खिलखिलाना, जैसे उतरकर आ गया चाँद
चूमने हमें और हमें लगा कि बचपन साथ है
एक अंगुली तुम्हारी और एक मेरी
करधन को सीधा करते हुए नोचना तुम्हें
और फिर तुम्हारा गाल ऊपर करके बोलना
और फिर खिलखिलाना, जैसे उतरकर आ गया चाँद
चूमने हमें और हमें लगा कि बचपन साथ है
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