Thursday, 24 August 2017

प्रेम का सहारा कितना सच? कितना झूठ??

भागदौड़ भरी इस जिंदगी में हर कोई त्रस्त है। मैं भी और आप भी। कोई कहता है मैं मस्त हूँ तो कोई कहता है कट रही है और कोई कहता है पूछो न....। कौन कहेगा कि मैं अपनी जिंदगी में खुश हूँ, यकीनन आप होंगे मगर आप जब खुद अपने पूर्व के किये कार्यों की समीक्षा कर रहे होंगे तो आप पाएंगे कि अभी ज़िंदगी में खुशी लाने के लिए कुछ कार्य शेष बचे हैं।
स्वार्थी मनुष्य का चरित्र और इसके बाद हर किसी से बेवजह कुछ पाने की उम्मीद कर लेना शायद बहुत हद तक परेशानी का कारण है। बिना कुछ खोये मनुष्य न जाने क्या क्या प्राप्त कर लेना चाहता है। युवाओं खासकर जो असल जिंदगी में मानसिक और शारीरिक विकास कर रहे होते हैं वे अपने विकास की दौड़ में बहुत सारी खूबियों को पीछे धकेलते हुए उनसे बचने के लिए ऐशो आराम की जिंदगी ढूढ़ने लगते हैं।



युवा अपनी ज़िंदगी मे भविष्य का ध्यान रखे बिना अपने पार्टनर की खोज करने लग जाता है। अचानक कभी कभार उसे जब भी कोई किसी वजह से पसंद आ जाता है तो उसे सब कुछ मानने लगता है और एक दिन फिर वही दोस्त कहलाने वाले जोड़े एक दूसरे से बहुत दूर दिखते है। ब्रेक अप और पैचअप की संस्कृति ने माहौल को इस कदर बना रखा है कि इससे रिश्तों की सारी धरोहरों का सर्वनाश हो जाता है। अबूझ पहेली एक नए रूप में सामने आती है और बिखराव दिखने लगता है। मान- मर्यादा, शान- शौकत, ऐशो- आराम सब कुछ चली जाती है, बचता है बस उदास चेहरा और कुछ एक बातें, गलतियां और उन गलतियों पर टिकी प्यार की निशानी, यादें और उन यादों के बदले कांच की बोतल में भरा रेड वाइन । पब का डांस और झूमता शहर। बर्बाद चेहरा और इस बर्बादी में बर्बाद शरीर और प्यारा मन ।
अक्सर देखता हूँ, कि फेसबुक पर मित्र बनते है, व्हाट्सअप पर मेसेजेस होते है। कहीं अचानक किसी आफिस में मुलाकात होती है, किसी स्थान पर थोड़ी देर के लिए मुलाकात होती है। अचानक कुछ दिनों बाद दो लोग एक दूसरे के काफी करीब आने लगते हैं और मैसेज और कॉल पर ही "आई लव यू" का मैसेज पहुँच जाता है। कोई बाधा अब बात करने से दूर नही करती। इस मैसेज का अर्थ अगर वास्तव में प्यार करना है तो ब्रेकअप और पैचअप का अर्थ ही नही रह जाता। जिंदगी में उदासी दिखेगी भी तो वह दूर हो जाएगी। प्यार में वह शक्ति है जो कभी 2 लोगों को जुदा कर ही नही सकती। अगर ये हकीकत है तो लोग ये तीन शब्द बोलकर अपने फ्यूचर का परवाह किये बगैर ये सब क्यों करते है। अक्सर जब एक बार ऐसे मैसेजिंग हो जाते है तो इसका मतलब दोनों को प्यार की जरूरत है। जिंदगी में वे बहुत हद तक हारे हैं। वे केवल अपने जीवन में एक दूसरे के सहारे बन सकते है। मानसिक सपोर्ट दे सकते हैं।लेकिन होता तो अक्सर इन सबके विपरीत है। समझ नही आता कि लड़का या लड़की इस मैसेज को कितना समझ कर और किस चाहत में आगे बढ़ रहे होते है।
कुछ दिनों तक एक दूसरे से सब कुछ ठीक चलता है लेकिन कुछ परिस्थितियों में वे इसी ठीक क्रम में रिश्तों को बहुत जल्दी आगे ले जाना चाहते है। प्यारी लड़की या लड़का जो भी अनजान होते है वे एक तरफ से ज्यादातर केसेज में यूज "प्रयोग" हो जाते है। जिस्म की चाहत और काम वासना में ले जाकर वे केवल प्यार का एक कोना तक पढ़ने की इच्छा रखते है लेकिन प्यार की असली हकीकत से अनजान रहकर वे मानसिक गुलाम बन जाते है। अब तक उद्देश्य क्लियर हो जाता है लेकिन काम वासना की भूख में वे इतने फंस से जाते है कि वास्तव में प्यार की तरफ जाने वाला उनमें से एक अपने पार्टनर को भी अपने जैसा ही समझ कर उससे अपनी केयर करने का सौदा कर लेता है। हकीकत यह है उसका एक पार्टनर इतना चालाक होता है कि वह पहले से फिक्स गोल के मुताबिक उसे अब छोड़ना चाहता है। लड़की और लड़का जो कभी नही चाहते ये साथ छूटे वे इससे बाहर निकलने में कई-कई महीने तक मानसिक गुलामी में जीते रहते है। प्यार की यह हद होती है सब कुछ जानकर वह अपने पार्टनर को प्यार की नजरों से देखता है। वह जानता है कि प्यार में ऐसा नही होता कि यहां छोड़ दो और फिर कहीं जाकर वही दुबारा से काम अंजाम दो, लेकिन सत्यता इस जिंदगी की यही है कि ब्रेकअप के दौरान अक्सर कोई केयर करने वाला इंसान दिखता है जो अब उसकी जिंदगी में आ जाता है और फिर अब वह वही सब करता है। इस प्रकार या मिथ्या प्रेम का नाटक चलता रहता है। कभी अंत नही होता और जो भी इसका शिकार होता है वह भी किसी दूसरे के साथ न चाहते हुए भी ऐसा करने को मजबूर हो जाता है।
इस मिथ्या प्रेम में अक्सर वही बातें है कि कभी भी सच और आदर्श का सहारा लेकर आप आगे नही बढ़ सकते। कभी जिंदगी में अवसरवादी बने बिना आप खुश नही रह सकते। कभी प्यार के वास्तविक अर्थ को अपनाकर जिंदगी को जी नही सकते। कभी रिश्तों के वास्तविक मकसद को नही समझ सकते। घर परिवार में सब रिश्ते बस दिखावटी ही होते है, कभी सूकून नही पा सकते। विवाह होने पर भी अनैतिक संबधों का जाल कभी नही छोड़ सकता। हर कोई शिकार बनता ही रहता है।
अक्सर ऐसे ही तमाम किस्से होते है जिनमें ब्रेकअप के चक्कर में जिंदगी के उन तमाम बुराईयों को वे ग्रहण कर लेते है जिन्हें वे नही चाहते। बारहवीं क्लास से निकलने के बाद बहुत सारे ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं जब ग्रैजुएशन आते आते वे किसी से ऐसा ही प्यार कर बैठते है और यह संबंध टूटने के बाद नशा करने लग जाते है और उबरने का भरसक प्रयास करते हैं। वे उबर तो जाते है लेकिन ऐसी तनाव की स्थिति में आप हमेशा ही नशे को सर्वोत्तम हथियार के रूप में मानने लगते है। अपनी मानसिक स्थिति की तुलना करें तो देखेंगे कि हम तब ज्यादा अच्छे थे, स्वस्थ थे जब तनाव नही था। तनाव से दूर जाने के लिए नशा भी नहीं था। लेकिन इन सबके अतिरिक्त एक चीज और थी कि हमने अपने प्यार के लिए जो इनर्जी खर्च की संबधों को बनाए रख पाने के लिए वह भी उस समय नही था। आप हर चीज को अच्छे ढंग से सोचते थे। पहले आप मिथ्या प्रेम को प्रेम ही समझते थे। किंतु अपने पार्टनर के चक्कर में आप इतने सावधान हो गए कि अब आप मिथ्या प्रेम का खेल खेलने लगे। हालांकि आप हो सकता है कि सुधर भी गए हो। परंतु किसी को सुधार नही पाए, बल्कि उसे भी उलझा दिए तो ये आपकी गलती है।
-प्रभात
फोटो : गूगल से उधार
नोट: इस लेख से किसी भी परिचित व्यक्ति का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नही है। यह जनहित में जारी है।


2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (25-08-2017) को "पुनः नया अध्याय" (चर्चा अंक 2707) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’क्रांतिकारी महिला बीना दास जी को नमन - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

    ReplyDelete

अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!