Tuesday 29 August 2017

गम है उसको भुला रहे हैं

हम इस तरह मुस्कुरा रहे हैं
कि गम है उसको भुला रहे हैं
हम चाहते है जिसे खुश रखना
वो हमीं को खूब रूला रहे हैं
जो भुलाए नही जाते ख्वाबों से
वो हमको ही अब भुला रहे हैं
माना कि चोट पहुँची तुम तलक
एहसास है तभी सहला रहे हैं
कदम-कदम पर मनाया है उन्हें
क्या दर्द है उन्हें जो इठला रहे हैं
कहता हूँ प्रेम से देखो एक बार
सोचो प्रभात क्यों चिल्ला रहे हैं
-प्रभात

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (30-08-2017) को "गम है उसको भुला रहे हैं" (चर्चा अंक-2712) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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