Thursday, 24 August 2017

कहानी जो कही ना जाए !!

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अपने जमाने का कोई अगर पी-एच. डी. कर रहा है तो वो ये महाशय। एक बात और बारीकी का है वो यह कि डीयू से पी-एच. डी. । जब मिले थे वह साल था 2008 का, अपने होस्टल में होस्टल एंथम सुनाए जाने का। हमने रैगिंग तो दिया था, लेकिन अगर होस्टल एंथम अच्छे से सुना था जोर-जोर से "......मैं हूँ होस्टलर.....वार्डन की.... का गुलाम......" तो अज्ञात से।
मुझसे एक साल थे तो छोटे पढ़ाई में और आयु में भी, लेकिन कभी भाई साहब ने मुझे बड़ा समझ अलग नही किया।
आपके हुलिया की बात की जाए तो बस कादा कठ, मूंछे और दाढ़ी का कॉम्बीनेशन ऐसा लगता है कि किसी ऊपर के क्षेत्र से अवतार लिया हो।
2008 से लगातार छात्रावास की रौनक बने रहे। कभी छात्रावास सचिव, कुत्ता सचिव, कभी मेस सचिव, कभी दूध सचिव। ...देख रहे हैं ना। सब इनका खाने पीने से संबंध रहा है। बहुत कम खाते है, लेकिन पेट ऊपर आने पर सब कह देते है कि ज्यादा हो गया।
एक बार पूरी बनाया गया... आपको 10 पूरी देने के बाद कहा गया कि और ले लो...नही ज्यादा हो गया सर!!
अरे नही भाई खाओ ...कुछ नही होगा - मैंने कहा।
हा हिलाते हुए....हाँ सर! क्या हो जाएगा, लाओ सब दे दो। क्या हो जाएगा...खाना तो ही है मादरचो..!! अज्ञात साहब बहुत ही मजेदार लहजे में अपने ही बात का बचाव भी करते हैं।
आप मुझे और मेरे 4 साथियों को मेरे ग्रैजुएशन के बाद विदाई दिए उसमें इन्होंने मुझे एक डायरी भेंट किया...डायरी में मुझे इन्होंने इतना सम्मान दिया कि उसके पन्ने पन्ने आज शर्मिंदा है।
जी एक ऐसे शख्स और मेरे जमाने के दोस्त/यार/लड़का/सहायक/गुरू...वह सब कुछ हैं। जो मेरे हर घटिया और गिरी बातों को सुनते है और बैलेंस न होने पर बिना बताए ही खुद भी तब तक बात करते हैं जब तक उनका पूरा बैलेंस उड़ न जाये।
अज्ञात साहब को एक दिन मैंने बहुत जरूरी कॉल किया....अरे अज्ञात भाई ....मुझे मारने कुछ लोग आ रहे हैं और मैं हंसराज की कैंटीन में बैठा हूँ।। - मैंने बहुत डरे - डरे सहायता मांगा, शायद यही सब कुछ संभाल लेंगे।
मैं यकीन नही कर सकता था...इतनी बड़ी मुसीबत को कैसे टाला इन्होंने। ....अरे सर ये उमर अब हमारी नही है मारपीट का....लड़कीबाजी थोड़ी न करनी। हमारा लेवल है सर। आप खामोंखा ऐसा काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों से बात ही मत करो...फोन ही मत उठाओ। दुनिया मे और भी काम पड़े हैं....मुझे लगा आज अज्ञात साहब तो मुझे शास्त्र ज्ञान और मेरा खुद से परिचय भी करा दिया। मान गए अज्ञात साहब।।।
अज्ञात साहब किसी काम के लिए मना नही करते। आज तक शायद ही कोई ऐसी परिस्थिति आई हो जब वे मेरी बात अच्छे से सुने न हो । कभी नाराज नही हुए। हमेशा दंडवत प्रणाम ही किया। अपने काम से काम...
इनके रग रग में पत्रकारिता और आदर्श राजनीति के गुण भरे पड़े है...ये सब इनको प्रकृति प्रदत्त प्राप्त है.
हिन्दू धर्म में पूजा पाठ करने का और रिश्तेदारी, गिरलफ्रेंडशिप तक का धर्म निभाने के लिए दिए जाने वाले उपहारों के बारे में समस्त जानकारी समेटे आप अज्ञात साहब देव लोक तक को प्रसन्न करने की जानकारी का ज्ञान मुझे सिखाते रहते हैं।
अज्ञात साहब डेली मुझे मेरे मंजिल तक ले जाने में प्रयासरत रहते हैं । अब साहब की जिंदगी की निजी कहानी यहां आगे का दूंगा तो आप शायद मुझे अब माफ नही करेंगे। क्योंकि आप पी-एच. डी. कर रहे हैं और ये डिग्री ऐसी है कि बिल्कुल आई. बी. जैसी जॉब के तरीके से काफी कॉन्फिडेंशियल है। इसमें मृत्यु हो जाये तो हो जाये....ज्यादे जांच पड़ताल नही करनी....क्यों मारे गए...या मरे।
फिर भी इसकी कहानी को कितने मज़ेदार तरीके से कहा है अभिषेक जी (मेरे फेसबुक मित्र) से सहायता प्राप्त !! जरा गौर फरमाइएगा... इसको जिसने लिखा उसका नाम ऐसे नहीं ले सकते क्योंकि बताया ना ये काफी कॉन्फिडेंशियल है.....ये अज्ञात साहब का नाम भी अज्ञात ही है क्योंकि आजकल सेंसरशिप में रहना लोग पसंद करते है...नाम डाल दिया तो दोस्ती चली जायेगी !!!
ये पेपर ...ये जर्नल ..ये रिसर्च की दुनिया
ये बालो की दुश्मन किताबो की दुनिया
ये पब्लिकेशन के भूखो लोंगो की दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं
हर एक स्कॉलर हैं घायल ..हैं रूह उसकी प्यासी
निगाहो मे उलझन दिल मे उदासी ..
ये लेब हैं या आलम बदहवासी ..
ये एनालिसिस अगर हो भी जाए क्या हैं ..
यहाँ बस चपरासी हैं हर स्कॉलर की हस्ती
ये बस्ती हैं बस बुड्ढे प्रोफसर की बस्ती
स्कॉलर्स की जवानी उनके बुढ़ापे से सस्ती
ये एक्सपेरिमेंट अगर हो भी जाए तो क्या हैं
स्कॉलर भटकता हैं यहाँ बेकार बन कर
जुगाड़ुओं क़े पेपर छपते हैं एहसान बन कर ..
ये दुनिया जहाँ दिमाग कुछ हैं नही ...
पेपर के आगे दोस्ती कुछ नही ..
वफा कुछ नही प्यार कुछ नही ..
ये पेपर अगर छप भी जाए तो क्या हैं ...
जला दो इसे फूँक डालो ये जरनल
मे्रे सामने से हटा लो ये थीसिस
तुम्हारी ही हैं तुम्ही संभालो ये लैब
ये थिसिस अगर एसेप्ट हो भी जाए तो क्या है ...
(सी एस आई आर -आई सी जी बी यंग साइंटिस्ट उवाचः )



 -प्रभात 

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