माँ
मुझे गोंद में फिर आना है
माँ मुझे गोंद में फिर आना है
बारिश से मुझे बचा लो
गोदी में अचरे से छुपा लो
आँखों में कजरा लगा दो
सुबह मुझे स्नान करा दो
पढ़के स्कूल से थके आना है
माँ मुझे★★★
डांट मिली तो दुलरा दो
चम्पक दे मन बहला दो
शाम हुयी तो दूध पिला दो
चांदनी रात में कथा सुना दो
खिलौने पाने की जिद करना है
माँ मुझे★★★
जो मैं खाऊं वही बना दो
बात बात में मुझे हंसा दो
रोते हुए मुझे बहला दो
सरसों से लेपन कर दो
भूत न आये छुप जाना है
माँ मुझे★★★
बारिश से मुझे बचा लो
गोदी में अचरे से छुपा लो
आँखों में कजरा लगा दो
सुबह मुझे स्नान करा दो
पढ़के स्कूल से थके आना है
माँ मुझे★★★
डांट मिली तो दुलरा दो
चम्पक दे मन बहला दो
शाम हुयी तो दूध पिला दो
चांदनी रात में कथा सुना दो
खिलौने पाने की जिद करना है
माँ मुझे★★★
जो मैं खाऊं वही बना दो
बात बात में मुझे हंसा दो
रोते हुए मुझे बहला दो
सरसों से लेपन कर दो
भूत न आये छुप जाना है
माँ मुझे★★★
-प्रभात
बहुत सुन्दर रचना ...
ReplyDelete........कितनी आसानी से इतने नाज़ुक एहसासों को लिख डाला आपने...
बहुत प्यारी पोस्ट.
बहुत-बहुत धन्यवाद आपकी प्रतिक्रिया के लिए
ReplyDeleteप्रभात भाई आपकी इस रचना को आज कविता मंच पर साँझा किया गया है
ReplyDeleteसंजय भास्कर
कविता मंच
http://kavita-manch.blogspot.com/
सादर आभार
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