Tuesday, 5 July 2016

माँ मुझे गोंद में फिर आना है

माँ मुझे गोंद में फिर आना है
-Google
माँ मुझे गोंद में फिर आना है
बारिश से मुझे बचा लो
गोदी में अचरे से छुपा लो
आँखों में कजरा लगा दो
सुबह मुझे स्नान करा दो
पढ़के स्कूल से थके आना है 
माँ मुझे
★★★
डांट मिली तो दुलरा दो
चम्पक दे मन बहला दो
शाम हुयी तो दूध पिला दो
चांदनी रात में कथा सुना दो 
खिलौने पाने की जिद करना है 
माँ मुझे
★★★
जो मैं खाऊं वही बना दो 
बात बात में मुझे हंसा दो 
रोते हुए मुझे बहला दो
सरसों से लेपन कर दो
भूत न आये छुप जाना है
माँ मुझे
★★★
-प्रभात


4 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना ...
    ........कितनी आसानी से इतने नाज़ुक एहसासों को लिख डाला आपने...
    बहुत प्यारी पोस्ट.

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  2. बहुत-बहुत धन्यवाद आपकी प्रतिक्रिया के लिए

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  3. प्रभात भाई आपकी इस रचना को आज कविता मंच पर साँझा किया गया है

    संजय भास्कर
    कविता मंच
    http://kavita-manch.blogspot.com/

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