Tuesday 5 July 2016

मैं खुश हूँ अपने जीवन से

मैं खुश हूँ अपने जीवन से


मैं खुश हूँ अपने जीवन से
तुम कहते हो कुछ ऐसे
जैसे मैं परेशान हूँ।
मैंने जो कुछ किया पिछले वर्षों में 
उनका रिकॉर्ड मांगते तुम हो
पर मैं उनमें से हूँ 
जिनका जवाब है 'कुछ नहीं'
और फिर तुम खुश हो जाते हो।
सच बताऊँ मैं जो हूँ,
उसका रिकॉर्ड दिखाने को नहीं है
तुम्हे, इतना जरूर है
ईश्वर ने हमेशा मुझे देखा है।
इसलिए मैं विचलित नहीं हुआ कभी
आपाधापी के दिनों में,
अच्छे दिनों से भी,
कुछ तुम्हारी बातों से,
जिसने मेरा अपमान किया।
मैं रोया कई बार हूँ,
मगर झुका कभी नहीं तुम्हारे सामने।
नसीब मेरी दुःख के ,
या असफलताएं मुझे प्रसन्न करती है। 
मैं अमीर नहीं हूँ,
तो क्या ?मैं जी रहा हूँ।
सब कुछ लेकर ही,
कुछ भी तो कमी नहीं है,
उदास दिनों को अब झेल सकता हूँ,
पहाड़ भी मैं काट सकता हूँ,
बाधाएं चाहे जैसी हो,
मैं पार पा सकता हूँ।
सही गलत की परख कर,
निर्णय ले सकता हूँ,
और अन्याय से अकेले लड़ सकता हूँ।
तुमसे मैं हर चीज़ में आगे हूँ,
इंसानियत के नाम पर,
जज्बातों के नाम पर,
मैं भीड़ का हिस्सा नहीं हूँ।
अकेले ही काफी हूँ।
कुछ तुम्हारी गलतफहमियां है.....
मुझे सादगी ही पसंद है,
मैं रंगीन नहीं बनना चाहता।
मुझे सामान्य जीवन पसंद है,
मैं अमीर नहीं बनना चाहता।
मुझे आत्मनिर्भर बनना है,
मैं नौकर नहीं बनना चाहता।
मुझे मेरा रास्ता पता है,
मैं तुमसे अहसान नहीं लेना चाहता।
और मुझे सच बोलना पसंद है,
मैं इसलिए कहीं लिखता हूँ,
और बिना किसी की परवाह किये 
सामने ही कहता हूँ ।
पता है अच्छा नहीं लगता इस दुनिया को,
सच और मेरे त्याग की कहानी,
पागलपन उनके शब्दों में
पर ठुकराया तुमने ही तो है हर जगह से,
तभी मैं इस लायक बना हूँ,
कि मैं जाते जाते कह सकूँ,
मैं खुश हूँ अपने जीवन से।
-प्रभात

No comments:

Post a Comment

अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!