Wednesday, 11 January 2017

कहानी प्रेम की...

कहानी प्रेम की...
अपनी रसोई के दुकान पर मिलने का दिन था। सौरभ के आने का इंतजार था। रात के 7 बज गए थे। ठण्ड का दिन था। डिनर तो साथ ही करना था। बहुत खुश था। उसने कॉल पर अभी अभी बताया था कि अरुण भाई मैं थोड़ा लेट हो गया हूँ आ रहा हूँ, पर आधे घंटे और लगेंगे। इंतज़ार करने की आदत तो थी ही इसलिए अरूण बैठ कर वही इन्तजार करने लगा। उसने सोंचा क्यों न व्हाट्सएप पर ही चैट करके वक्त बिता लिया जाये। इतना सोंचते ही क्षण भर में ही मानसी का कॉल आता है। अरूण कहाँ हो? किसके साथ हो? आज कोई मेसेज भी नहीं न ही कोई कॉल। जल्दी आओ व्हॉट्स एप पर । एक साथ इतने सारे सवाल सुनकर लगा कि जवाब दे देना चाहिए परंतु ठीक है ! इतना कहकर उसने व्हाट्स एप ओपन किया , मानसी के 20 मेसेज पड़े थे। ...और सौरभ के 2 मैसेज ..उसने सौरभ को उसके इस मैसेज का रिप्लाई कर दिया कि आज मैं तुम्हारे रूम पर ही रुकूँगा। सौरभ को रिप्लाई इतना ही लिखा कि हाँ दोस्त रूक जाना, नही भी रुकते तो रोक लेता। आखिर दोस्त से मिलना भी तो बहुत दिनों बाद ही तो हुआ था।
अब मानसी के मैसेज पढता ही कि उतनी देर में... क्या हुआ जैसे 10 मैसेज और मिल गये। अरुण ने कहा अरे रुक जाओ प्रिये। वेट.....!!! ,मानसी ने कहा ...ओके।। अब मैसेज पढ़कर रिप्लाई क्या ही करता ? आज तो उसे मिलना था। मानसी ने सुबह ही उसे मैसेज किया था आज हम मिलकर साथ डिनर करेंगे। पिछले 2 साल की दोस्ती और एक दूसरे को इस तरह से चाहना शायद जरुरत भी था। आज से 2 साल पहले ही सौरभ से भी मुलाकात होगी। सौरभ और मानसी तब एक दूसरे के अच्छे दोस्त थे, इतना ही पता था अरूण को। और तभी ही एक दिन बात ही बात में सौरभ ने, मानसी का नंबर मांगा था और सौरभ ने अपने प्रिय दोस्त अरूण को तुरंत ही नंबर दे दिया था और सबसे पहली बार बात भी सौरभ ने ही कराया था।
मैसेज में सॉरी लिखकर अपना व्हॉट्स ऍप ऑफ कर लिया यह कहते हुए कि मानसी आज सौरभ के साथ हूँ बाद में बात करता हूँ। कुछ समय बीत गए थे। अब अरुण को सामने से सौरभ आते हुए दिखा। मुस्कुराकर गले लगाया और दोनों ही बैठ गए। पानी पीते हुए एक दूसरे से बात चल ही रही थी, कि अचानक ही मानसी का कॉल आ गया। अरूण ने फोन उठाते हुए कहा कि हां मैं बाद में बात करता हूँ दोस्त के साथ ही हूँ। सौरभ ने अरुण से पुछा: अपनी गर्ल फ्रेंड से मिलवाओगे नहीं? अरे क्यों नही सौरभ, कल ही मिलवाता हूँ। सौरभ मुस्कुराया । कुछ यादें कचोट रही थी सौरभ को। क्योंकि सौरभ जिसे प्यार करता था वह लड़की उसे छोड़ गयी थी। कारण उसे आज तक नही पता चला। डिनर करके आने के बाद सौरभ रात भर अपनी चाहत के बारे सोंचता रहा वहीं अरूण अपनी मानसी से लगातार बातें करता रहा। मानसी अरूण से बहुत ज्यादा प्यार करती थी। वह कल भी आ गया जब सौरभ से मानसी को मिलना था नाम और चेहरा दोनों ही नहीं पता था। सौरभ के सामने अरूण जैसे ही मानसी को लेकर आता है। सौरभ पहली नजर में मानसी को देख अपने आपको संभाल नही पा रहा था। फिर भी बीच बीच में हल्की झूठी मुस्कराहट के साथ वह सौरभ और मानसी का साथ दे रहा था। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी चाहत आज अरूण की गर्ल फ्रेंड बन चुकी है। जल्दी -जल्दी में वहां से निकलने के बाद सौरभ कुछ सोंचता है।अरूण आज अपने साथी को उदास देख पूछ लेता है। सौरभ आज तुम काफी उदास लग रहे हो जबसे मानसी से मिल कर आये। क्या बात है दोस्त? सौरभ अपनी कहानी अब बताता है।.... मानसी से मुझे प्यार था परंतु मानसी मुझे नहीं पसंद करती थी। जब तुमने नंबर माँगा था उसके बाद से ही मानसी मुझसे बात भी करना बंद कर दी थी। आज इस हालात में तुम्हारे साथ मुझे देखा नहीं जा रहा।
इतना सुनते ही अरूण ने कहा, मित्र मैं छोड़ दूंगा मानसी को .. बोलो तुम्हारे लिए और क्या कर सकता हूँ । इतना कहते हुए वह ऊपर आसमान की ओर देखने लगा। पल भर में दबे आँखों में एक साथ पानी के बुलबुले आँसुओं के रूप में सामने आ गए। इसके साथ ही सौरभ की आँखे भी नम हो गयी, दोस्त का इस तरीके का त्याग देखकर उसके विवशता के लिए धन्यवाद तो देना ही था साथ ही साथ उसका अपने प्रेमिका से प्यार का पक्ष लेने में जरा भी संकोच न हुआ। अब सौरभ नम आँखों में ही उसे समझा देता है। दोस्त तुम किसी तरीके से अपने आप को उससे जुदा कर लो। खुद ब खुद तुम। अरूण आखिर मना भी कैसे करता वह दोस्त के लिए अपनी चाहत को छोड़ देना ही उचित समझता था। उसने अगले दिन ही उसने वह सब बोल दिया जो शायद किसी भी सम्बन्ध को बिगाड़ने के लिए काफी ही था। अगले सुबह जब अरूण ने मानसी का कॉल उठाया तो मानसी बोली आज खुश तो बहुत होंगे तुम्हारा दोस्त जो आया है...मानसी मेरी बात सुनो एक बात कहना है...अरूण ने तेजी से 1 सांस में बोलना शुरू किया ही था...और उधर से मानसी को लगा कि वो शायद कुछ और अच्छी अपनी जिंदगी के संबंध में बात करने वाला है.
अरूण ने बहुत ही जोर जोर से बोला ..मानसी सुनों, देखो तुम मेरी जिंदगी के बारे में कुछ भी 1 परसेंट भी नहीं जानती। मुझे जैसा समझती हो वैसा नहीं हूँ मैं। मैंने जो जो बताया था वो सब झूठ बोला था। मुझे तुमसे प्यार नहीं है। न तो पहले कभी करता था और न ही अभी करता हूँ।
मानसी सिसकते हुए शायद अब संभलने की सोंच ही रही थी कि एकाएक जैसे बादल की गर्जन होती है वैसे ही जोर से बोलते हुए आँखों में पानी को दबाये हुए अरूण ने कहा; मानसी तुम्हे क्या लगता है। माफ़ करना पर मैं तुमसे इसलिए कम बात करता हूँ क्योंकि मैं ज्यादातर समय उससे बात करता हूँ जिससे मेरी शादी होने वाली है।
इतना बोलकर अरूण ने एक बात और कहा कि अब तुम मुझे न कॉल करना और न मैं तुम्हे। 
मानसी अब कुछ बोलने लायक तो नहीं रही बस वह सामने से आते हुए अपने पुराने दोस्त सौरभ से पूछ ही बैठी अरे सौरभ ...कुछ बोला तो नहीं। परंतु तब तक सौरभ ही पूछ बैठा कि आँखों में आंसू आज कैसे? क्या बात है बताओ?...
-प्रभात


2 comments:

  1. आसां नहीं प्यार है दोस्ती में प्यार को त्यागना आज के ज़माने में ...
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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