Monday, 30 January 2017

इक दिन का इंतजार करूँ तो करूँ कैसे

गूगल साभार 
इक दिन का इंतजार करूँ तो करूँ कैसे
मुहब्बत का फिर से इजहार करूँ तो करूँ कैसे
दिल में बसी है सूरत, इजाजत है कि रख दूँ सामने
लिखावट में कोई कसक है तो दूर करूँ कैसे
कोई धूप नहीं तुम, तुम हो गंभीर छाया
सूरत से है हर कोई खिला है, मुझे भी खिलाया
आँखों में छिपी है काजल की काली
उठूं जब भी देखूं तुम्हारे होठों की लाली
छूने का दिल करें तो छु लूं कैसे
तुम्हारी इक "न" पर अब रुकूँ तो रुकूँ कैसे
मुस्कुराओं जब, तो लगे मरु में कमल खिल गया 
गगन से आया धरा पर सितारा, चहुँ ओर मिल गया
बोलती हो कोयल की तरह, लगे प्रभात हो गया
बोलो जो तुम कुछ भी, लगे सब ठीक तो है
जिंदगी में तुम ही हो, अब कहूँ तो कहूँ कैसे
सब कुछ तुम्हें समर्पण करूँ तो करूँ कैसे
जब भी भीगूँ बारिश में तुम दुबका लेते हो सीने से
तुम्हें सोंचता हूँ जब भी, आ जाते हो सामने से
जताते प्यार ही हो, आसमां पर होकर धरा बताते हो
सांस इत्र की तरह छोड़कर महकाती तो हो
अब खुशबूं इन साँसों की लेकर चलूँ तो चलूँ कैसे
तकिये पर सिर रखके करवटें लूँ तो लूँ कैसे

-प्रभात

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