Wednesday, 11 January 2017

चंद पंक्तियाँ

मेरी आँखों में तेरी इक तस्वीर नजर आये
ये आँखे नम इतनी है पर तूँ साफ़ नजर आये
यही एक बात की उलझन दिन रात सता रही है
मैं जितना दूर हूँ तुमसे तू उतनी करीब नजर आये
कोई इक बात नहीं जो मुझसे दूर हुआ हो अब तक
मंजिल दूर बहुत है लेकिन फासलें कम नजर आये
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प्रभात

9 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बृहस्पतिवार (12-01-2017) को "अफ़साने और भी हैं" (चर्चा अंक-2579) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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