मेरी आँखों में तेरी इक तस्वीर नजर आये
ये आँखे नम इतनी है पर तूँ साफ़ नजर आये
यही एक बात की उलझन दिन रात सता रही है
मैं जितना दूर हूँ तुमसे तू उतनी करीब नजर आये
मैं जितना दूर हूँ तुमसे तू उतनी करीब नजर आये
कोई इक बात नहीं जो मुझसे दूर हुआ हो अब तक
मंजिल दूर बहुत है लेकिन फासलें कम नजर आये
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प्रभात
मंजिल दूर बहुत है लेकिन फासलें कम नजर आये
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प्रभात
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteनई पोस्ट :
अफ़साने और भी हैं
Shukriya
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बृहस्पतिवार (12-01-2017) को "अफ़साने और भी हैं" (चर्चा अंक-2579) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Aabhar
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteBahut bahut dhanyvaad
DeleteAabhar
ReplyDeleteDhnayvaad
ReplyDeleteThanks !!
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