Monday, 30 January 2017

मैं और मेरी अम्मी!!

 
मैं और मेरी अम्मी!!

जहाँ माँ की ममता हो, सुखद अहसास होता है
बचपन में, गोदी में खिलखिलाने सा आभास होता है

किसी पत्थर की तरह मुझे तरासा माँ ने खूब है
मैं बिगड़ा भी हूँ अगर तो, उसमें दुलार मिला है

काया हो या अंतर्मन की गाथा, खूब मेल है माँ से
साया हो जैसे आँचल का, जिंदगी बची है माँ से 

भूखे पेट नहीं सोया हूँ माँ के हिस्से की रोटी खाया हूँ
छुपकर देखा था माँ खुश थी, खुद न खा, मुझे सुलाकर 

माँ की नींदे छिन जाती है, मेरी तस्वीर देख कर रोती है
माँ मुझे बुखार है, सुनती है और मेरे लिए भूखे रह लेती है

दुनिया ने जब भी ठुकराया मुझे, माँ की ममता ने संभाल लिया
अनगिनत पल, अपनी इक मुस्कराहट से मेरे आंसू पोंछ लिया

माँ अपनी नजरों में मुझे जीवन की कहानी समझा देती है
न पढ़े लिखे होने पर भी, जीने का सलीका बता देती है

जब भी दूर हुआ हूँ, माँ खुशी खुशी भेजने चली आती है 
थोड़ी दूर आकर मुड़कर देखा हूँ, माँ जोर-जोर से रोती है

कई दिन रात जगी थी बचपन में माँ, मुझे सुलाने की खातिर
मैं झूठे सो जाता था, मेरे सोने के बाद मुस्कुराया करती थी

@प्रभात

2 comments:

  1. बिल्‍कुल सच कहा .. तभी तो हर पल जीवंत आज भी ...गहरे उतरते शब्‍द ...आभार

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