Friday, 30 December 2016

क्यों लिखते हो

क्यों लिखते हो ?
गूगल आभार 

किसी नदी, तालाब और कुएं को
लिखना है तो मुझे लिखो

क्यों लिखते हो ?
अपरिचित या किसी जुदा साथी को
लिखना है तो मुझे लिखो

क्यों लिखते हो ?
सागर, आकाश या फिर रहस्य को
लिखना है तो मुझे लिखो

क्यों लिखते हो ?
किसी गड्ढे को, किसी हार को
लिखना है तो मुझे लिखो

क्यों लिखते हो ?
किसी अनकही बातें, यादें और संघर्ष को
लिखना है तो मुझे लिखो

क्यों लिखते हो ?
मृत्यु, संस्कार और व्यथा को
लिखना है तो मुझे लिखो

क्यों लिखते हो ?
किसी और के दुःख, प्रताड़ना को
लिखना है तो मुझे लिखो

सच बताऊँ !!!
लिखा ही उसे जाना चाहिए

जो रहस्य हो, अज्ञात हो
जिसे जानने की इच्छा हो
जिससे आत्मविश्वास मिलता हो
जिससे मन को खुशी मिलती हो

जो अकेला हो, 
जो कुछ कह न पाया हो
जो मेरी यादों में समाया हो
जिससे मेरी प्यास बुझ जाती हो

जिसमें मैं खो जाता हूँ 
चौराहों पर, सूनसान सड़क पर
और यहाँ तक कि
तुम्हारे सामने भी
इसलिए लिखता हूँ !!!
-प्रभात



10 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (01-01-2017) को "नूतन वर्ष का अभिनन्दन" (चर्चा अंक-2574) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाओंं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुंदर.
    नई पोस्ट :
    भुला नहीं देना जी भुला नहीं देना

    नव वर्ष की शुभकामनाएं !

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  3. बहुत ख़ूब ...
    यहाँ है जब sab कुछ तो किसी को क्यों लिखना ...
    नव वर्ष मंगलमय हो

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  4. बहुत बढ़िया

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  5. सच कहां, इसीलिेए लिखना भी चाहिए
    नव वर्ष की मंगलकामनाएं
    http://savanxxx.blogspot.in

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