Monday, 12 December 2016

महके न धरती तब बरसात कराओ न

महके न धरती तब बरसात कराओ न
सौंधी सौंधी मिट्टी से मन को खूब रिझाओ न
मन की अभिलाषा है बस हरा भरा संसार रहे
गूगल से साभार 
चिड़ियां चहके, चमके तारे झिलमिल ये संसार रहे
सूनी हो बगिया तो कोयल कोई आओ न
सोते हुए गहन निद्रा से सुबह सुबह जगाओ न....

सूना सूना संसार हुआ है, अंधा तो प्यार हुआ है
मतलबी इंसान हुआ है, रिश्तों में व्यापार हुआ है
लोरी न माँ की तो तुम, अब आकर गले लगाओ न
तपते देह का आंसू लेकर पोखरा नया बनाओ न
महके न धरती तब बरसात कराओ न.....
 -प्रभात

2 comments:

  1. दिनांक 13/12/2016 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंद... https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
    आप भी इस प्रस्तुति में....
    सादर आमंत्रित हैं...

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