जब घर में शादी थी और बैंड बाजे के साथ दूल्हा चल रहा था, तो उसके दादा जी कमरे में बंद होकर पानी पीने को तरस रहे थे। घर के किवाड़
बंद थे बस एक कमरा खुला था, जिसमे दादाजी का एक फटा तौलिया
बिछा हुआ था। न टाटपट्टी थी न ही कोई खाट। बस बिखरा बिखरा सा था पूरा सामान। उदासी
थी। तड़प थी की चुपके से शादी का खाना तो मिल जायेगा। पर अफ़सोस कि खाने के बाद सौंच
जाने वाला दरवाजा भी बंद था। किसी बच्चे ने नहीं सोंचा था कि दादाजी को ज़रूरत होगी
सौंच जाने की। लेकिन बहु ने शायद सोंच लिया था सौंच खाना गन्दा हो जायेगा और फिर ये
भी बात सही थी भूखा रहने के बाद कहाँ जरूरत पड़ेगी ही। सच सोंचा था शायद ।
गूगल साभार |
सीढ़ियों पर खड़ा एक 6 साल का बच्चा
और उसका 20 साल का दोस्त बारात जाने के लिए उतावले थे। बस
अंतिम गाड़ी बची थी, जिसे कुछ किरायेदारों को लेकर जाने के
लिए थी। जो मकान मालिके के ऊपर तल्ले पर रहा करते थे। 6 साल
का बच्चा और उसका दोस्त भी उन्हीं किरायेदारों में से एक थे। अचानक दादा जी ऊपर
आते है सीढ़ियों पर ....20 साल का दोस्त लड़का अपने छोटे 6
साल के दोस्त की ओर इशारा करते हुए दादा जी से कह रहा था कि ये भी
बारात जा रहा है। ठण्ड में फटी बनियान पहने दादा जी जोर की गालियां देते हुए उस
बच्चे को 3 लप्पड़ जड़ देते है। बच्चा भी समझ नहीं पाता रोने
लगता है। उसका दोस्त शायद दादा जी की छुब्धता को समझने का प्रयास कर रहा था।
जब 20 साल का वह लड़का छोटे दोस्त के साथ सीढ़ियों से
उतरने लगता है तो उससे हाथ जोड़कर दादाजी कह रहे थे नीचे बोल देना भईया कुछ खाना दे
दे। कांपते हाथ ठण्ड में शायद बुजुर्गी बयां करते हुए उसके वास्तविक जीवन और उनके
पारिवारिक रिश्तों को ख़ूबसूरती से बयां कर रहे थे। सोंचते हुए कि अब क्या करें और
किससे बोले कि दादा जी को खाने का कुछ दे दे...बोलता है ..ठीक है दादाजी अभी मिल
जाएगा। 20 साल का लड़का अपने दोस्त को तेजी से दादाजी से
बचाकर उसे लेकर बारात के लिए जाने वाली गाड़ी में बैठ लेता है...और शादी के स्थल पर
अब सभी पहुँच कर डीजे पर डांस करने लगते है।।।
प्रभात
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