Friday, 30 December 2016

तुम्ही क्यों

तुम्ही क्यों
गूगल साभार 

एक एक करके सब
दोषी मुझे ठहराते गए
पहचानना तो
कौन चाहता है
मुझे....
वक्त का तकाजा है
एक दिन आएगा वह भी
जब आओगे और कहोगे
कि गलती हुयी।
रो देना शायद कम हो जाये
तुम्हारी मुसीबत ।
हम तो उदास होते है
रो भी लेते है अकेले
और राह देखते है
कि पहचानने का वक्त
कब आएगा...शायद
तब भी मुझे ही 
सबसे ज्यादा पछताना पड़े
प्यार की छटपटाहट में, 
चाहकर लौटा न पाने के लिए
बीता हुआ वक्त ....।।

-प्रभात 

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